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गर्मी की लहरें बच्चों की शिक्षा पर डाल रही हैं गंभीर प्रभाव

एक नई वैश्विक रिपोर्ट में बताया गया है कि बढ़ती गर्मी और हीटवेव बच्चों की शिक्षा पर गंभीर प्रभाव डाल रही हैं। अध्ययन के अनुसार, बच्चे जो अत्यधिक गर्मी का सामना कर रहे हैं, वे औसतन 1.5 साल की स्कूली शिक्षा खो सकते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विकासशील देशों में स्थिति और भी गंभीर है, जहां शिक्षा प्रणाली पहले से ही संसाधनों की कमी से जूझ रही है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है और स्कूलों को किस प्रकार की तैयारियों की आवश्यकता है।
 

गर्मी और शिक्षा का संबंध

हाल ही में प्रकाशित एक वैश्विक अध्ययन से पता चला है कि बढ़ती गर्मी और हीटवेव का न केवल स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है, बल्कि यह बच्चों की शिक्षा को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जो बच्चे अत्यधिक गर्मी और हीटवेव का सामना कर रहे हैं, वे औसतन 1.5 साल तक की स्कूली शिक्षा खो सकते हैं। यह अध्ययन यूनिवर्सिटी ऑफ सास्केचवान, यूनेस्को और GEM–MECCE टीम के सहयोग से तैयार किया गया है।


हीटवेव का शिक्षा पर प्रभाव

रिपोर्ट में बताया गया है कि "तीव्र हीटवेव" — जब तापमान औसत से दो मानक विचलन (standard deviation) अधिक हो — बच्चों की सीखने की क्षमता और स्कूल में उपस्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित करती है। इसका प्रभाव केवल वर्तमान समय तक सीमित नहीं होता, बल्कि बच्चों के पूरे शैक्षणिक जीवन पर असर डाल सकता है।

गर्मी के कारण स्कूलों में उपस्थिति में कमी आती है, परीक्षा में प्रदर्शन कमजोर होता है और पढ़ाई की निरंतरता बाधित होती है। अमेरिका में किए गए कुछ शोधों से पता चला है कि जिन स्कूलों में एयर कंडीशनिंग नहीं है, वहां 1°C तापमान बढ़ने पर छात्रों के परीक्षा परिणामों में लगभग 1% की गिरावट आई। इसके साथ ही, नस्लीय और सामाजिक असमानताएं भी बढ़ गईं।


विकासशील देशों में स्थिति और भी गंभीर

रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 33 देश, जिनमें करीब 10 करोड़ बच्चे निवास करते हैं, उच्च जलवायु जोखिम वाले देशों की श्रेणी में आते हैं। इन देशों की शिक्षा प्रणाली पहले से ही संसाधनों की कमी से जूझ रही है और जलवायु परिवर्तन इसे और बिगाड़ रहा है। दक्षिण एशिया, सब-सहारा अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देश इस प्रभाव से सबसे अधिक प्रभावित हैं।

बांग्लादेश, ब्राज़ील और कुछ अफ्रीकी देशों में हर साल लगभग 1% सीखने की कमी देखी गई है, जो सीधे जलवायु कारकों से संबंधित है।


स्कूलों की तैयारी और नीतियों में बदलाव की आवश्यकता

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकारों और शिक्षा व्यवस्थाओं को जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए अपनी नीतियों में बदलाव लाना होगा। स्कूलों में बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर, ताप सहनशील निर्माण, आपदा प्रबंधन योजनाएं और हीटवेव अलर्ट सिस्टम जैसी व्यवस्थाओं की तत्काल आवश्यकता है।

इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में बाढ़ की स्थिति के दौरान, वहां के स्कूलों ने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOPs) को अपनाकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। 81% स्कूलों ने बताया कि उनकी तैयारियां प्रभावी रहीं।