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ग्रेटर नोएडा में छात्रा ज्योति शर्मा के सुसाइड केस में प्रोफेसरों को मिली जमानत

ग्रेटर नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी में बीडीएस की छात्रा ज्योति शर्मा ने आत्महत्या कर ली, जिसके बाद उसने प्रोफेसरों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया। अब, जिला अदालत ने दोनों प्रोफेसरों को जमानत दे दी है। इस मामले में कई विवाद और छात्र संगठनों के विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे की कहानी।
 

ज्योति शर्मा का दुखद मामला

ग्रेटर नोएडा समाचार: शारदा यूनिवर्सिटी में बीडीएस की छात्रा ज्योति शर्मा ने 18 जुलाई को आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद, उसने एक सुसाइड नोट में प्रोफेसर डॉ. शैरी और महेंद्र सर पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था। इसी आधार पर दोनों को गिरफ्तार किया गया था। अब, मंगलवार को जिला अदालत ने उन्हें जमानत दे दी है। दोनों पिछले एक महीने से अधिक समय से जेल में थे।


कोई आपराधिक इतिहास नहीं

जमानत की सुनवाई के दौरान, दोनों प्रोफेसरों के वकील ने अदालत में कहा कि उनके खिलाफ कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि ज्योति की कक्षाओं में उपस्थिति कम थी, जिसके कारण वह पढ़ाई में पीछे रह गई थी। प्रोफेसरों ने उसे सुधारने के लिए कहा था, लेकिन उसने प्रैक्टिकल फाइल पर फर्जी हस्ताक्षर किए थे, जिसके चलते शिक्षकों ने उसे डांटा था। अवसाद में आकर उसने आत्महत्या का कदम उठाया। अदालत ने इन दलीलों को सुनने के बाद जमानत दे दी।


साक्ष्य छिपाने का आरोप

इस घटना के बाद, विश्वविद्यालय प्रबंधन ने ज्योति के परिवार की शिकायत पर प्रोफेसर शैरी, महेंद्र, अनुराग अवस्थी, सुरभी, डीन एम सिद्धार्थ और आशीष के खिलाफ नॉलेज पार्क थाने में मामला दर्ज किया था। मामले की जांच अभी जारी है। आरोप है कि छात्रा को आत्महत्या के लिए उकसाने के साथ-साथ साक्ष्य भी छिपाए गए।


सुसाइड नोट में जिम्मेदारी का आरोप

ज्योति ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि डॉ. शैरी और महेंद्र सर ने उसे बहुत अपमानित किया। उसने यह भी कहा कि वह चाहती है कि जिन परिस्थितियों का सामना उसे करना पड़ा, वैसी ही स्थिति उन दोनों के साथ हो। इस घटना के बाद कई छात्र संगठनों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था।