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चंडीगढ़ में सूफ़ी साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन

चंडीगढ़ में एक विशेष सूफ़ी साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें रूमी की शिक्षाओं और सूफ़ी दर्शन पर चर्चा की गई। सुप्रसिद्ध सूफ़ी विद्वान सैयद ज़िया अल्वी ने अपने विचार साझा किए और नए लेखकों को प्रेरित किया। कार्यक्रम में साहित्य प्रेमियों ने भाग लिया और सभी ने ऐसे आयोजनों की आवश्यकता पर जोर दिया। जानें इस अद्वितीय कार्यक्रम के बारे में और कैसे यह सूफ़ी संस्कृति को बढ़ावा देता है।
 

सूफ़ी सफ़र: रूमी की शिक्षाओं की खोज

चंडीगढ़। टी.एस. सेंट्रल स्टेट लाइब्रेरी ने राब्ता के सहयोग से और जुनिपर कलेक्टिव के समर्थन से एक विशेष साहित्यिक और सूफ़ी कार्यक्रम “हम कलाम–सूफ़ी सफ़र: अ जर्नी टुवर्ड्स रूमी” का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य सूफ़ी विचारधारा, साहित्य और रूमी की शिक्षाओं पर ध्यान केंद्रित करना था, जिसमें श्रोताओं ने सूफ़ी दर्शन का अनुभव किया।


इस अवसर पर सुप्रसिद्ध सूफ़ी विद्वान, शायर और लेखक सैयद ज़िया अल्वी ने सूफ़ी दर्शन और रूमी की शायरी पर अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम का संचालन राब्ता से सोनिया राय ने किया। सैयद ज़िया अल्वी ने नए लेखकों को सलाह दी कि वे किताबों के प्रति अपनी रुचि बढ़ाएं और बड़े शायरों की रचनाएँ पढ़ें।


उन्होंने एक जुमला सुनाते हुए कहा कि एक अच्छा शायर बनने के लिए पहले दस हजार शेर याद करने चाहिए। उन्होंने आलमा इकबाल के एक शेर का उदाहरण देते हुए कहा कि एक शेर के एक टुकड़े पर किताब लिखी जा सकती है। कार्यक्रम की मेज़बानी जाने-माने शायर शमशेर साहिल ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में शायर शमस तबरेज़ी ने भाग लिया। सभी उपस्थित लोग इस कार्यक्रम से बहुत खुश थे और उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे कार्यक्रम शहर में नियमित रूप से आयोजित किए जाने चाहिए।



कार्यक्रम के अंत में, सोनिया राय ने दर्शकों से लाइव फीडबैक लिया और राब्ता की टीम का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि नीरज पांडे जी का कार्यक्रम में आना हमारे लिए गर्व की बात है। इस आयोजन में राब्ता की टीम के सदस्यों सोनिया राय और अज़ारुल हक़ साहिल का विशेष योगदान रहा। लाइब्रेरी की ओर से नीलम बंसल (लाइब्रेरी इंचार्ज) और डॉ. नीज़ा सिंह (लाइब्रेरियन) ने इस आयोजन में मार्गदर्शन किया। उन्होंने साहित्य प्रेमियों से अनुरोध किया कि वे आगे भी ऐसे अद्वितीय कार्यक्रमों में भाग लें।