जावेद अख्तर ने धर्म और शराब के बीच की तुलना पर दिया बेबाक बयान
जावेद अख्तर का नया बयान
जावेद अख्तर: प्रसिद्ध लेखक और गीतकार जावेद अख्तर एक बार फिर अपने स्पष्ट विचारों के लिए चर्चा में हैं। हाल ही में एक साक्षात्कार में, उन्होंने धर्म और शराब के बीच एक चौंकाने वाली समानता स्थापित की। उनका कहना है कि जैसे शराब का सीमित सेवन फायदेमंद हो सकता है, वैसे ही धर्म भी तभी तक सकारात्मक है जब तक इसका उपयोग संयमित रूप से किया जाए। लेकिन जब इसकी अति होती है, तो यह समाज और व्यक्ति दोनों के लिए हानिकारक हो जाता है।
शराब के प्रति जावेद का नजरिया
शराब पीने के शौक़ीन रहे जावेद
जावेद अख्तर ने आज तक रेडियो के एक विशेष कार्यक्रम में कहा, "दिन में दो पैग व्हिस्की वास्तव में फायदेमंद है। समस्या तब होती है जब लोग रुकते नहीं हैं। ठीक वैसे ही धर्म तब तक ठीक है जब तक वह सीमा में है।" उन्होंने यह भी बताया कि दोनों में एक समानता यह है कि अधिकांश लोग संयम नहीं रख पाते और अति करने लगते हैं। जावेद ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने भी एक समय शराब का सेवन किया था। उन्हें व्हिस्की पसंद थी, लेकिन जब उन्होंने इसे छोड़ दिया, तो उन्हें इसके प्रति एलर्जी हो गई। इसके बाद उन्होंने बीयर पीना शुरू किया और एक बार में 18 बोतलें पी जाते थे। बाद में पेट में समस्या होने पर उन्होंने रम पीना शुरू किया।
शराब के अनुभवों पर चर्चा
शराब पीने के अनुभव बताये
अरबाज़ खान के एक टॉक शो में जावेद ने अपने शराब पीने के अनुभव साझा किए थे। उन्होंने कहा, "मैं इसलिए पीता था क्योंकि मुझे आनंद आता था। मैं दुख भुलाने के लिए नहीं पीता था। लेकिन एक समय ऐसा आया जब मुझे लगा कि अगर मैं ऐसे ही पीता रहा, तो मेरी उम्र 52-53 साल से ज़्यादा नहीं होगी।" इसी सोच ने उन्हें शराब से दूर कर दिया। उन्होंने धर्म के बारे में भी गंभीर बातें कीं। उनका कहना था कि शराब और धर्म दोनों में कुछ हद तक लाभ होता है, लेकिन जब इनका दुरुपयोग होता है तो ये घातक बन जाते हैं। उन्होंने दूध और शराब का उदाहरण देते हुए कहा, "अगर कोई दो गिलास दूध पीता है तो वह हानिकारक नहीं है, लेकिन व्हिस्की के दो गिलास से ज़्यादा लेने पर समस्या होती है। लोग दूध में अति नहीं करते, लेकिन शराब और धर्म में कर बैठते हैं।"
अमेरिकी सर्वे का उल्लेख
अमेरिकी सर्वे का किया जिक्र
उन्होंने एक अमेरिकी सर्वे का उल्लेख करते हुए कहा कि जो लोग न तो शराब पीते हैं और न ही हर दिन पूरी बोतल पीते हैं, वे लंबे समय तक नहीं जीते। बल्कि वे लोग ज्यादा जीते हैं जो संयमित मात्रा में शराब का सेवन करते हैं। सद्गुरु के साथ अपनी बहस को याद करते हुए जावेद ने कहा कि जो कुछ भी तर्क, प्रमाण, और विश्लेषण से रहित हो, वह सिर्फ ‘आस्था’ है। उन्होंने सवाल उठाया कि विश्वास और मूर्खता में आखिर फर्क क्या है? उन्होंने कहा, "मैं आस्था को स्वीकार कर सकता हूं, लेकिन उसमें तर्क होना चाहिए।"