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तमिलनाडु में नई शिक्षा नीति: मुख्यमंत्री स्टालिन का दो-भाषा नीति पर जोर

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य की नई शिक्षा नीति की घोषणा की है, जिसमें दो-भाषा नीति को अपनाने और सोचने की क्षमता को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध करती है, जिसे सामाजिक न्याय के खिलाफ मानती है। इसके अलावा, स्मार्ट क्लासेस की शुरुआत भी अगले महीने से होगी, जिससे शिक्षा प्रणाली को और अधिक आधुनिक बनाया जाएगा।
 

मुख्यमंत्री स्टालिन की नई घोषणा

नई दिल्ली। तमिलनाडु में भाषा विवाद को लेकर मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने राज्य की नई शिक्षा नीति के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह नीति राज्य की सांस्कृतिक पहचान को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य में केवल दो-भाषा नीति लागू होगी और राष्ट्रीय शिक्षा नीति को नहीं अपनाया जाएगा।
स्टालिन ने अन्ना शताब्दी पुस्तकालय सभागार में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल रटने के बजाय सोचने और समझने की क्षमता को विकसित करना होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि अब पढ़ाई के साथ-साथ शारीरिक शिक्षा को भी महत्व दिया जाएगा।


राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध

मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि हमारी शिक्षा नीति में रटकर पास होने की बजाय सोचने पर जोर दिया जाएगा। हम केवल दो-भाषा नीति को अपनाएंगे, जो हमारी स्थायी नीति है। उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु सरकार लंबे समय से केंद्र की राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध कर रही है। राज्य सरकार का मानना है कि यह नीति सामाजिक न्याय के खिलाफ है और हिंदी को थोपने का प्रयास है। इसी कारण से राज्य ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का बहिष्कार किया है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अगले महीने सितंबर से स्मार्ट क्लासेस की शुरुआत की जाएगी, जिससे पढ़ाई और अधिक आधुनिक और सरल हो जाएगी। स्टालिन ने बताया कि राज्य सरकार का लक्ष्य है कि हर छात्र को कॉलेज में दाखिला मिले। वर्तमान में 75% छात्र कॉलेज में दाखिला लेते हैं, लेकिन सरकार इसे 100% तक बढ़ाने का प्रयास कर रही है।