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मखाना: मिथिला का स्वाद अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर

श्रवण कुमार रॉय ने दरभंगा में मखाना को एक वैश्विक ब्रांड बनाने की यात्रा शुरू की। मात्र 15 हजार रुपये से शुरू होकर, उनका ब्रांड अब भारत और अमेरिका में प्रसिद्ध है। G-20 सम्मेलन में मखाना के विशेष व्यंजन पेश किए गए हैं। श्रवण की कहानी असफलताओं से प्रेरित है, जिसने उन्हें अपने स्टार्टअप की ओर अग्रसर किया। जानें कैसे उन्होंने 100 से अधिक परिवारों को रोजगार दिया और मखाना को एक नया स्वाद दिया।
 

बिहार के श्रवण कुमार रॉय की सफलता की कहानी

बिहार समाचार: दरभंगा के श्रवण कुमार रॉय ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब सोच में नवीनता और इरादे मजबूत हों, तो किसी भी देसी उत्पाद को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया जा सकता है। उन्होंने केवल 15 हजार रुपये से अपने मखाना ब्रांड की शुरुआत की, जो अब पूरे भारत में फैल चुका है और अमेरिका में भी अपनी पहचान बना चुका है। श्रवण ने एक कॉरपोरेट करियर में आठ लाख रुपये का पैकेज छोड़कर मखाना को एक वैश्विक ब्रांड बनाने का संकल्प लिया और आज वे सफलता की नई कहानी लिख रहे हैं।


G-20 सम्मेलन में मखाना का प्रदर्शन

G-20 सम्मेलन में पेश हुआ मखाना


मिथिला क्षेत्र, विशेषकर दरभंगा, मधुबनी और सहरसा के तालाबों से निकला मखाना अब केवल पारंपरिक व्यंजनों तक सीमित नहीं रह गया है। श्रवण कुमार ने इसे स्नैक्स पैकेट में परिवर्तित कर एक हेल्दी फूड ब्रांड के रूप में स्थापित किया है। उनके ब्रांड 'एमबीए मखानावाला' के तहत मखाना डोसा, मखाना कुकीज, मखाना खीर और अन्य स्वादिष्ट वेरायटी बाजार में उपलब्ध हैं। इसके अलावा, जी-20 जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर मखाने से बने विशेष व्यंजन भी प्रस्तुत किए गए। दरभंगा एयरपोर्ट पर भी मखाना सेंटर की स्थापना की गई है।


नए स्वाद के साथ देसी व्यंजन

देसी स्वाद को मिला नया फ्लेवर


श्रवण कुमार ने एक नया प्रयोग करते हुए एक अनोखा रेस्टोरेंट मॉडल विकसित किया है, जिसमें मखाना फ्लेवर को खाने के साथ जोड़ा गया है। उन्होंने डोसा में मखाना फ्लेवर और गुजराती ढोकले में मखाना का समावेश कर इसे पूरे भारत में लोकप्रिय बना दिया है।


असफलता से मिली प्रेरणा

असफलता से शुरू हुई सफलता की राह


श्रवण के अनुसार, वे तीन बार आईआईटी की परीक्षा में असफल हुए, जो उनके लिए प्रेरणा का स्रोत बनी। उन्होंने मखाना बेचने से अपने स्टार्टअप की शुरुआत की और फिर पैकेजिंग के माध्यम से ऊंचाइयों को छुआ। आज उनके प्रयासों के कारण 100 से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है।


संघर्षों से भरा सफर

संघर्षों से भरा रहा सफर


श्रवण का यह सफर कई संघर्षों से भरा रहा है। नौकरी छोड़ने का निर्णय, परिवार का विरोध, बैंक से लोन लेने में कठिनाइयाँ और कोविड लॉकडाउन जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्हें MMSME ऑनर अवार्ड 2021 और जिला एंटरप्रेन्योरशिप अवार्ड 2022 से भी सम्मानित किया गया है। वे मखाना के पहले जीआई अधिकृत उपयोगकर्ता हैं, जिसे भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग से मान्यता प्राप्त है।