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महिलाओं के लिए पीरियड्स से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी और मिथक

पीरियड्स एक सामान्य जैविक प्रक्रिया है, लेकिन इससे जुड़े कई मिथक और गलतफहमियां महिलाओं के बीच प्रचलित हैं। इस लेख में हम पीरियड्स के दौरान खान-पान, दर्द और स्वास्थ्य से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी साझा कर रहे हैं। जानें कैसे सही जीवनशैली और आहार से आप अपने पीरियड्स के अनुभव को बेहतर बना सकती हैं।
 

पीरियड्स: एक सामान्य जैविक प्रक्रिया


महिलाओं में हर महीने होने वाली पीरियड्स एक सामान्य जैविक प्रक्रिया है। हालांकि, इससे जुड़े कई सवाल ऐसे हैं जिनके बारे में महिलाओं को सही जानकारी नहीं होती या वे गलत धारणाओं में जीती हैं। यह स्थिति अक्सर इस कारण होती है कि महिलाएं इस विषय पर खुलकर बात करने से कतराती हैं। यह जानना जरूरी है कि इस दौरान ठंडा और खट्टा दही खाने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे शरीर में कफ और वात का असंतुलन हो सकता है।


पीरियड्स के दौरान व्रत रखने से बचना चाहिए, क्योंकि भोजन छोड़ने से शरीर को नुकसान हो सकता है। इस समय आपका शरीर खुद को डिटॉक्स कर रहा होता है, इसलिए हल्का और गर्म खाना खाना फायदेमंद होता है। इससे शरीर को आवश्यक पोषण मिलता है।


कई महिलाएं पीरियड्स के खून का गहरा रंग या थक्के बनने को स्वास्थ्य समस्या मानती हैं, लेकिन यह हमेशा खतरे का संकेत नहीं होता। यह शरीर में विषाक्त पदार्थों की वृद्धि या वात और कफ के असंतुलन के कारण हो सकता है। यदि यह समस्या लगातार बनी रहती है और तेज दर्द भी होता है, तो खान-पान और जीवनशैली में बदलाव करें और डॉक्टर से सलाह लें।


पीरियड्स के दर्द को महिलाएं सामान्य मानती हैं, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार, सही खान-पान और जीवनशैली से इसे कम किया जा सकता है। अपने आहार में दशमूल और अशोक जैसी जड़ी-बूटियों को शामिल करें। यदि आप हर महीने दर्द के कारण पेनकिलर लेती हैं, तो यह सही नहीं है। पेनकिलर केवल अस्थायी राहत देते हैं, जबकि समस्या का मूल कारण बना रहता है। लंबे समय तक पेनकिलर का सेवन लिवर की सेहत पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।