मूमल और महेंद्र: एक अमर प्रेम कहानी का दर्दनाक अंत
प्रेम और बलिदान की अद्भुत कहानी
राजस्थान की भूमि सदियों से प्रेम और बलिदान की अनगिनत कहानियों से भरी हुई है। इनमें से एक अत्यंत भावुक प्रेम कहानी है — मूमल और महेंद्र की। यह कथा न केवल प्रेम की गहराई को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कभी-कभी एक साधारण मज़ाक भी कितनी गंभीर समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। मूमल और महेंद्र की यह प्रेम कहानी इतिहास के पन्नों में धुंधली सी रह गई है, लेकिन जब भी इसका उल्लेख होता है, तो दिल में एक गहरी भावना जाग उठती है।
सात समंदर पार से शुरू हुआ प्यार
<a href=https://youtube.com/embed/zWoxsqEDzNY?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/zWoxsqEDzNY/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="Mahendra Mumal Love Story | विश्व की सबसे सुंदर राजकुमारी मूमल की अधूरी प्रेमकहानी। महेंद्र-मूमल" width="696">
मूमल, जो सिंध (वर्तमान पाकिस्तान) की एक राजकुमारी थी, अपनी बुद्धिमत्ता, सुंदरता और साहस के लिए जानी जाती थी। उसका महल मूमल-माहिवाल की धरती माने जाने वाले मिरपुर खास के निकट स्थित था। दूसरी ओर, महेंद्र एक राजपूत राजकुमार था, जो राजस्थान के जैसलमेर के पास लोधरवा राज्य का राजकुमार था। वह न केवल वीर था, बल्कि बुद्धि और साहस का भी धनी था। एक बार जब महेंद्र अपनी यात्रा के दौरान मूमल के महल पहुंचा, तो उसने मूमल की सुंदरता और चतुराई से प्रभावित होकर उससे प्रेम का प्रस्ताव रखा। मूमल ने उसे एक परीक्षा में डाल दिया — जो भी व्यक्ति महल की सुरक्षाओं को पार कर अंदर आएगा, वही उसका जीवनसाथी बनेगा। महेंद्र ने यह कठिन कार्य सफलता से पूरा किया और मूमल का दिल जीत लिया।
प्रेम का परवान चढ़ना और दूरी की कसक
महेंद्र और मूमल की प्रेम कहानी जल्द ही पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध हो गई। लेकिन चूंकि वे दो अलग-अलग राज्यों से थे, उनका मिलन आसान नहीं था। दोनों एक-दूसरे से छुप-छुपकर मिला करते थे। महेंद्र अक्सर अपनी पहचान छुपाकर मूमल से मिलने जाया करता था। इस दौरान उनका प्रेम और भी गहरा होता गया, लेकिन समय, दूरी और सामाजिक मर्यादाओं की दीवारें हमेशा उनके बीच बनी रहीं।
जब एक मज़ाक बना जीवनभर का पछतावा
कहते हैं, एक बार महेंद्र अपनी व्यस्तताओं के कारण कुछ दिनों तक मूमल से मिलने नहीं आया। मूमल ने उसकी नाराजगी को दूर करने और उसे चिढ़ाने के लिए एक मज़ाक किया — उसने अपनी एक दासी को महेंद्र के वस्त्र पहनाकर अपने पास सुला दिया। जब महेंद्र वहां पहुंचा और यह दृश्य देखा, तो वह क्रोधित हो गया। उसे लगा कि मूमल ने उसे धोखा दिया है। बिना पूरी बात सुने और समझे, वह वहां से वापस लौट गया और अपने राज्य जाकर खुद को कष्ट देने लगा। उधर मूमल को जब इस बात का अहसास हुआ कि उसका मज़ाक उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल बन गया है, तो वह महेंद्र से मिलने के लिए निकल पड़ी।
एक प्रेम कहानी का दिल तोड़ने वाला अंत
मूमल ने लोधरवा जाकर महेंद्र को मनाने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कहते हैं, भावनात्मक और मानसिक पीड़ा से टूट चुके महेंद्र ने धीरे-धीरे प्राण त्याग दिए। मूमल ने भी उसके पीछे समाधि लेने का निर्णय लिया और खुद को उसकी चिता में झोंक दिया। इस तरह यह अमर प्रेम कहानी एक दर्दनाक अंत पर समाप्त हुई — जो आज भी लोगों की आंखें नम कर देता है।
मूमल-महेंद्र की विरासत
आज भी राजस्थान के जैसलमेर के पास लोधरवा और मूमल की हवेली के अवशेष इस प्रेम गाथा की गवाही देते हैं। कई लोकगीत, लोकनाट्य और किस्सों में मूमल-महेंद्र की कथा को गाया जाता है। यह प्रेम कहानी हमें यह सिखाती है कि प्यार में संवाद, विश्वास और धैर्य कितना ज़रूरी होता है। एक भावनात्मक चोट कभी-कभी जीवनभर की पीड़ा बन जाती है।