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रिटायरमेंट के बाद ग्रेच्युटी: जानें कैसे मिलती है और इसकी गणना कैसे करें

रिटायरमेंट के बाद ग्रेच्युटी एक महत्वपूर्ण वित्तीय लाभ है, जो कर्मचारियों को उनकी सेवा के लिए दिया जाता है। जानें कि ग्रेच्युटी किसे मिलती है, इसके लिए क्या नियम हैं और इसकी गणना कैसे की जाती है। इस लेख में हम ग्रेच्युटी के महत्व और इसके लाभ के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
 

ग्रेच्युटी का महत्व और नियम


जब कोई व्यक्ति रिटायर होता है, तो उसे हर महीने मिलने वाली राशि को पेंशन कहा जाता है। वहीं, नौकरी छोड़ने पर एकमुश्त मिलने वाली राशि को ग्रेच्युटी कहा जाता है। यह राशि सभी कर्मचारियों को नहीं मिलती, इसके लिए कुछ विशेष नियम निर्धारित किए गए हैं। आमतौर पर, ग्रेच्युटी रिटायरमेंट के बाद दी जाती है, लेकिन नियमों के अनुसार, इसे रिटायरमेंट से पहले भी प्राप्त किया जा सकता है।


ग्रेच्युटी पाने के लिए आवश्यक है कि कर्मचारी ने उस नौकरी में कम से कम 5 साल बिताए हों। भारत में ग्रेच्युटी के लिए भुगतान अधिनियम 1972 लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य उन कर्मचारियों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है, जिन्होंने लंबे समय तक किसी कंपनी में काम किया है। आइए जानते हैं कि ग्रेच्युटी किसे मिलती है और इसे कैसे गणना किया जाता है।


ग्रेच्युटी की पात्रता

कंपनियां अपने कर्मचारियों को उनके कार्य के लिए ग्रेच्युटी प्रदान करती हैं। किसी भी कर्मचारी को ग्रेच्युटी प्राप्त करने के लिए उस कंपनी में 5 साल तक काम करना अनिवार्य है। यह सरकारी और निजी दोनों प्रकार के कर्मचारियों के लिए लागू होता है। ग्रेच्युटी और भुगतान अधिनियम भारत के सभी उद्योगों, जैसे कंपनियों, कारखानों, खदानों, तेल क्षेत्रों, बंदरगाहों और रेलवे पर लागू होता है। 10 से अधिक कर्मचारियों को नियुक्त करने वाली कंपनियों को अपने कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का भुगतान करना होता है।


यदि कोई कर्मचारी किसी संस्थान में 5 साल तक कार्य करता है, तो वह ग्रेच्युटी का हकदार बन जाता है। हालांकि, कुछ स्थानों पर 5 साल से कम समय में भी ग्रेच्युटी का प्रावधान है। ग्रेच्युटी एक्ट की धारा 2ए के अनुसार, भूमिगत खदान में काम करने वाले कर्मचारी 4 साल 190 दिन के बाद ग्रेच्युटी प्राप्त कर सकते हैं।


ग्रेच्युटी की गणना

ग्रेच्युटी का लाभ रिटायरमेंट के बाद ही लिया जा सकता है, जबकि नौकरी के दौरान इसका लाभ नहीं उठाया जा सकता। रिटायरमेंट के बाद या नौकरी छोड़ने के बाद मिलने वाली ग्रेच्युटी की राशि की गणना करना सरल है। इसके लिए आपको अपनी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते (डीए) को (15/26) से गुणा करके, फिर उसे नौकरी के वर्षों से गुणा करना होगा।


उदाहरण के लिए, यदि आपकी बेसिक सैलरी और डीए ₹40000 है और आपने कंपनी में 10 साल काम किया है, तो आपकी ग्रेच्युटी होगी: 40000 x (15/26) x 10 = ₹230,769।