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रेलवे बोगियों के रहस्यमय नंबर: जानें क्या छिपा है इन 5 अंकों में

भारतीय रेलवे में यात्रा करना न केवल सुरक्षित है, बल्कि आरामदायक भी है। हर ट्रेन के डिब्बे पर अंकित 5 अंकों का नंबर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। यह नंबर बताता है कि बोगी कब बनी और इसकी श्रेणी क्या है। इस लेख में हम आपको इन अंकों के पीछे का रहस्य और उनके अर्थ के बारे में विस्तार से बताएंगे। जानें कैसे आप अपनी यात्रा के दौरान इन नंबरों का उपयोग कर सकते हैं।
 

रेलवे यात्रा का महत्व


भारतीय नागरिकों के लिए एक शहर से दूसरे शहर जाने का सबसे पसंदीदा साधन रेलवे है। यह यात्रा न केवल सुरक्षित है, बल्कि आरामदायक भी होती है। क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि हर ट्रेन के डिब्बे पर 5 अंकों का एक विशेष नंबर अंकित होता है? ये नंबर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। रेलवे के नियमों के अनुसार, इन अंकों में बोगी से संबंधित कई जानकारियाँ छिपी होती हैं। आइए, हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।


हर बोगी के बाहर अंकित ये 5 अंक बताते हैं कि यह बोगी कब निर्मित हुई और इसकी श्रेणी क्या है। पहले दो अंक निर्माण वर्ष को दर्शाते हैं, जबकि अंतिम तीन अंक बोगी की श्रेणी को दर्शाते हैं।


उदाहरण के लिए, यदि किसी ट्रेन के कोच पर 05497 अंकित है, तो इसे दो भागों में समझा जाना चाहिए। पहले दो अंक निर्माण वर्ष को दर्शाते हैं, जैसे कि यह बोगी 2005 में बनी थी। यदि बोगी पर 98397 लिखा है, तो इसका अर्थ है कि यह 1998 में निर्मित हुई थी।


अंतिम तीन अंक बोगी की श्रेणी को दर्शाते हैं। पहले उदाहरण (05497) में यह सामान्य श्रेणी की बोगी है, जबकि दूसरे उदाहरण (98397) में यह स्लीपर क्लास की बोगी है। इसे और स्पष्ट करने के लिए नीचे दिए गए चार्ट को देखें।


001-025: एसी प्रथम श्रेणी
026-050: कम्पोजिट 1एसी + एसी-2टी
051-100: एसी-2टी
101-150: एसी-3टी
151-200: सीसी (एसी चेयर कार)
201-400: एसएल (द्वितीय श्रेणी स्लीपर)
401-600: जीएस (सामान्य द्वितीय श्रेणी)
601-700: 2एस (द्वितीय श्रेणी सिटिंग/जन शताब्दी चेयर क्लास)
701-800: सिटिंग कम लगेज रेक
801+: पैंट्री कार, जेनरेटर या मेल
इसलिए, अगली बार जब आप भारतीय रेलवे से यात्रा करें, तो अपनी बोगी के बाहर अंकित नंबर को देखकर जान सकते हैं कि यह बोगी कब बनी थी और इसकी श्रेणी क्या है।