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सावन में शिव भक्ति: जीवन के गूढ़ संदेश

सावन का महीना भगवान शिव की आराधना का समय है, जो 11 जुलाई से 9 अगस्त तक चलता है। इस दौरान भक्त जलाभिषेक और व्रत के माध्यम से शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। लेकिन शिव भक्ति केवल पूजा तक सीमित नहीं है; इसमें कई गूढ़ जीवन संदेश छिपे हैं। भस्म, श्मशान, नाग, तीसरी आंख और जहरीले फूलों के प्रतीकात्मक अर्थों के माध्यम से हमें भौतिकता से विरक्ति, विनम्रता, जागरूकता और नकारात्मकता का विसर्जन करने की प्रेरणा मिलती है।
 

सावन का पावन महीना

सावन का महीना, जो पूरी तरह से भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित है, 11 जुलाई से आरंभ होकर 9 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान, शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है, जहां जलाभिषेक, मंत्र जाप और व्रत के माध्यम से लोग भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। लेकिन शिव भक्ति केवल पूजा तक सीमित नहीं है; इसमें कई गूढ़ जीवन संदेश छिपे हुए हैं जो हमें एक बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा देते हैं।


भस्म लगाना: भौतिकता से विरक्ति का प्रतीक

भगवान शिव का शरीर हमेशा भस्म से ढका रहता है, जो भक्ति और वैराग्य का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि शरीर, संपत्ति और संसार सब अस्थायी हैं और अंततः राख में बदल जाएंगे। स्थायित्व केवल आत्मा और अध्यात्म में है, बाकी सब क्षणिक है।


श्मशान का वास: अहंकार का अंत

महादेव का निवास स्थान श्मशान हमें एक महत्वपूर्ण सीख देता है। जीवन में पद, प्रतिष्ठा और संपत्ति के पीछे भागने वाले व्यक्ति को अंततः इसी स्थान पर पहुंचना है, जहां कोई भेदभाव नहीं होता। शिव का श्मशान में रहना हमें विनम्रता और नश्वरता की सच्चाई को याद दिलाता है।


गले का नाग: मोह का प्रतीक

शिव के गले में लिपटा नाग केवल सजावट नहीं है, बल्कि यह मोह, लालच और सांसारिक बंधनों का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि हमें इन भावनाओं को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए। जैसे शिव ने विषैले नाग को अपने गले में रखा, लेकिन उसे सिर पर नहीं चढ़ने दिया।


तीसरी आंख: जागरूकता और विवेक की दृष्टि

शिव की तीसरी आंख शक्ति और संहार का प्रतीक है, लेकिन यह हमारी आंतरिक दृष्टि को भी दर्शाती है। यह हमें सिखाती है कि केवल आंखों से देखने के बजाय, हमें बुद्धि और विवेक से भी चीजों को समझना चाहिए।


धतूरा और आंकड़ा: नकारात्मकता का विसर्जन

धतूरा और आंकड़ा जैसे जहरीले फूलों को शिव को अर्पित करने का प्रचलन इस बात की ओर इशारा करता है कि हम जीवन की बुरी आदतें और नकारात्मक सोच को त्याग सकते हैं। शिव का संदेश है कि अपने भीतर की कड़वाहट उन्हें सौंप दो और प्रेम, करुणा व सकारात्मकता से जीवन को भर लो।