14 वर्षीय माधव गोपाल कामत ने स्क्रैबल चैम्पियनशिप में भारत का नाम रोशन किया
भारत का नाम रोशन करने वाली युवा प्रतिभा
नई दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित संस्कृत स्कूल के कक्षा 10 के छात्र माधव गोपाल कामत ने वर्ल्ड यूथ स्क्रैबल चैम्पियनशिप (WYSC) 2024 में अद्वितीय प्रदर्शन कर भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचा किया है। केवल 14 वर्ष की आयु में, उन्होंने यह साबित कर दिया है कि कठिन परिश्रम और निरंतर अभ्यास से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।
प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन
कुआलालंपुर में आयोजित 20वीं वर्ल्ड यूथ स्क्रैबल चैम्पियनशिप में, माधव ने 24 में से 21 मुकाबले जीतकर खिताब अपने नाम किया। अंतिम राउंड में उन्होंने 'Bae' शब्द के साथ खेल समाप्त किया, जो केवल पांच अंक का था, लेकिन उनके लिए यह ऐतिहासिक जीत का प्रतीक बन गया। इस प्रतियोगिता का आयोजन वर्ल्ड इंग्लिश-लैंग्वेज स्क्रैबल प्लेयर्स एसोसिएशन (WESPA) द्वारा किया गया था, जिसमें विश्वभर के युवा खिलाड़ी शामिल हुए।
स्क्रैबल का सफर
माधव ने स्क्रैबल खेलना अपने पिता और चाचा को खेलते हुए देखकर पांच साल की उम्र में शुरू किया। धीरे-धीरे यह खेल उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया और छह-सात साल की उम्र में उन्होंने प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू कर दिया। इससे पहले, वे सात बार अंडर-18 टूर्नामेंट में खेल चुके हैं और दो बार उपविजेता रहे हैं। इस वर्ष की शुरुआत में, वे मुंबई में आयोजित 25वीं नेशनल स्क्रैबल चैम्पियनशिप के सबसे कम उम्र के विजेता बने थे।
तैयारी और अध्ययन का महत्व
माधव का मानना है कि स्क्रैबल केवल शब्दों का खेल नहीं है, बल्कि यह एक मानसिक खेल है, जैसे शतरंज। वे प्रतिदिन कम से कम एक घंटे का अभ्यास करते हैं और इसके लिए ऐप्स और वेबसाइट्स का उपयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि केवल शब्दकोश पढ़ना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि कठिन और असामान्य शब्दों को भी याद करना आवश्यक है। इसके अलावा, उनकी किताबें पढ़ने की आदत ने उन्हें शब्दों को समझने और उनका मूल्यांकन करने में मदद की है।
भारत के लिए गर्व का क्षण
इस प्रतियोगिता में भारत से 11 अन्य युवा खिलाड़ी भी शामिल हुए थे, जिनमें बेंगलुरु के 15 वर्षीय सुयश मंचली ने पांचवां स्थान प्राप्त किया। स्क्रैबल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हरविंदरजीत भाटिया ने माधव की जीत को भारतीय स्क्रैबल इतिहास का स्वर्णिम क्षण बताया और कहा कि यह भारत की बढ़ती वैश्विक पहचान को मजबूत करता है। माधव की यह उपलब्धि न केवल देश के लिए गर्व का विषय है, बल्कि उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा भी है जो अपनी मेहनत से विश्व मंच पर छाप छोड़ना चाहते हैं।