150 साल का जश्न: राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' का स्मरणोत्सव
राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' का 150वां वर्ष
राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' के 150 साल: मोदी सरकार ने 'वंदे मातरम' के 150 वर्ष पूरे होने पर एक साल तक चलने वाले 'स्मरणोत्सव' का आयोजन करने की घोषणा की है। इस कार्यक्रम की शुरुआत पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दिल्ली में की। इस अवसर पर उन्होंने एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया और उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया।
दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आयोजित इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा, "आज, 7 नवंबर, एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि हम 'वंदे मातरम' के 150 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। यह अवसर हमें प्रेरणा देगा और करोड़ों देशवासियों को नई ऊर्जा से भर देगा। इस दिन को यादगार बनाने के लिए, 'वंदे मातरम' को समर्पित एक विशेष सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया गया है।"
स्मरणोत्सव के उद्घाटन पर पीएम मोदी ने कहा, "'वंदे मातरम' एक शब्द, एक मंत्र, एक ऊर्जा, एक स्वप्न और एक संकल्प है। यह माँ भारती के प्रति समर्पण और आराधना का प्रतीक है। यह हमें हमारे इतिहास से जोड़ता है और भविष्य को नई ताकत देता है। ऐसा कोई संकल्प नहीं है जो पूरा न हो सके, और कोई लक्ष्य नहीं है जिसे हम भारतीय प्राप्त न कर सकें।" उन्होंने कहा, "गुलामी के उस काल में 'वंदे मातरम' इस संकल्प का उद्घोष बन गया था, जो भारत की आजादी का प्रतीक था।"
उन्होंने आगे कहा, "जब हम अपनी बेटियों को लड़ाकू विमान उड़ाते देखते हैं, तो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है और वह 'वंदे मातरम' का नारा लगाता है। हमारे सैनिकों के लिए 'वन रैंक वन पेंशन' लागू हुए 11 साल हो गए हैं। जब हमारी सेनाएँ दुश्मनों के इरादों को कुचलती हैं, तो हमारे सुरक्षाकर्मी 'वंदे मातरम' के मंत्र से प्रेरित होते हैं।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "जब बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 'वंदे मातरम' की रचना की थी, तब भारत अपने स्वर्णिम काल से बहुत दूर था। विदेशी आक्रमणकारियों और अंग्रेजों की नीतियों ने देश को गरीबी और भुखमरी में धकेल दिया था। फिर भी, बंकिम बाबू ने एक समृद्ध भारत का आह्वान किया।"
ज्ञात हो कि 'स्मरणोत्सव' कार्यक्रम 7 नवंबर 2025 से 7 नवंबर 2026 तक चलेगा, जो 'वंदे मातरम' के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया जाएगा। यह राष्ट्रीय गीत स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित करने वाला और राष्ट्रीय गौरव एवं एकता का प्रतीक बना रहा है।
राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' 7 नवंबर 1875 को अक्षय नवमी के अवसर पर लिखा गया था। इसे पहली बार साहित्यिक पत्रिका 'बंगदर्शन' में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास 'आनंदमठ' के एक अंश के रूप में प्रकाशित किया गया था। मातृभूमि को शक्ति और समृद्धि का प्रतीक मानते हुए, इस गीत ने भारत की एकता और आत्मगौरव की भावना को अभिव्यक्त किया। यह गीत जल्द ही राष्ट्र के प्रति समर्पण का एक स्थायी प्रतीक बन गया।