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2008 मालेगांव बम धमाका मामले में सभी आरोपियों को बरी किया गया

मुंबई की NIA अदालत ने 2008 के मालेगांव बम धमाका मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। इस फैसले पर प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने इसे 'सनातन धर्म की जीत' बताया और कांग्रेस पर तीखा हमला किया। अदालत ने अभियोजन पक्ष की विफलता को उजागर करते हुए कहा कि सबूतों में विसंगतियां थीं। इस निर्णय पर भाजपा और हिंदू संगठनों ने खुशी व्यक्त की है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं।
 

विशेष अदालत का निर्णय

मुंबई में एक विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अदालत ने 31 जुलाई 2025 को 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में भाजपा की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और अन्य छह आरोपियों को बरी कर दिया। इस विस्फोट में छह लोगों की जान गई थी और 95 अन्य घायल हुए थे।


अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में असफल रहा है और आरोपियों को संदेह का लाभ दिया जाना चाहिए। विशेष न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने कहा कि अभियोजन द्वारा पेश किए गए सबूतों में कई विसंगतियां थीं। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के प्रावधान लागू नहीं होते। इसके अलावा, अदालत ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह पीड़ितों के परिवारों को ₹2 लाख और घायलों को ₹50,000 का मुआवजा दे।


प्रज्ञा सिंह ठाकुर की प्रतिक्रिया

प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने 2 अगस्त 2025 को सोशल मीडिया पर इस फैसले को 'सनातन धर्म की जीत' बताया। उन्होंने कांग्रेस पर 'भगवा आतंकवाद' और 'हिंदू आतंकवाद' जैसे शब्दों को गढ़ने का आरोप लगाया। अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा, "भगवा आतंकवाद और हिन्दू आतंकवाद के जन्मदाता कांग्रेस सहित सभी विधर्मियों का मुंह हुआ काला।"


उन्होंने 'जय हिन्दूराष्ट्र, जय श्री राम' का नारा भी लगाया। अदालत में फैसले के समय प्रज्ञा भावुक हो गईं और कहा कि उन्हें 13 दिनों तक सताया गया और 17 साल तक अपमानित किया गया।


राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

इस फैसले पर भाजपा और विभिन्न हिंदू संगठनों ने खुशी व्यक्त की है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह निर्णय कांग्रेस के भारत विरोधी और न्याय विरोधी चरित्र को उजागर करता है। उन्होंने कांग्रेस से इस 'झूठे नैरेटिव' के लिए माफी मांगने की मांग की।


महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी कहा कि "आतंकवाद कभी भगवा नहीं था, नहीं है और न कभी होगा!"