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2025 का पहला पूर्ण चंद्रग्रहण: समय और मान्यताएँ

साल 2025 का पहला पूर्ण चंद्रग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा की रात को होगा, जो भारत के अधिकांश हिस्सों से स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा। यह ग्रहण 82 मिनट तक चलेगा और इसे ब्लड मून कहा जाता है। जानें इसके समय, धार्मिक मान्यताओं और राशियों पर प्रभाव के बारे में। गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
 

चंद्रग्रहण का विशेष महत्व

Chandra grahan 2025 Time: साल 2025 का पहला और महत्वपूर्ण पूर्ण चंद्रग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा की रात को होने जा रहा है। यह नजारा खास होगा क्योंकि इसे भारत के अधिकांश हिस्सों से आसानी से देखा जा सकेगा। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, पुणे, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद जैसे प्रमुख शहरों में लोग इसे बिना किसी विशेष उपकरण के देख सकेंगे। 


ग्रहण का समय और अवधि

यह ब्लड मून चंद्रग्रहण 2022 के बाद सबसे लंबा होगा। खगोलज्ञों के अनुसार, अगला ऐसा दृश्य 31 दिसंबर 2028 को देखने को मिलेगा। धार्मिक दृष्टि से भी चंद्रग्रहण का महत्व है, इसलिए सूतक और मोक्षकाल का पालन करना आवश्यक है। आइए जानते हैं इस ग्रहण के समय और इससे जुड़ी मान्यताओं के बारे में विस्तार से। 


कब लगेगा चंद्रग्रहण?

भारतीय समयानुसार, चंद्रग्रहण 7 सितंबर की रात 9:57 बजे प्रारंभ होगा। पूर्ण चंद्रग्रहण रात 11:01 बजे शुरू होगा और 12:23 बजे तक चलेगा। इसका मोक्षकाल 1:27 बजे होगा। कुल मिलाकर यह ग्रहण लगभग 82 मिनट तक चलेगा। 


ब्लड मून का अर्थ

पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान, चंद्रमा पृथ्वी की छाया से गुजरता है, जिससे यह लाल और नारंगी रंग का दिखाई देता है। इसी कारण इसे ब्लड मून कहा जाता है। सूतक और मोक्षकाल धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्रग्रहण से 9 घंटे पूर्व शुरू होता है। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और पूजा-पाठ नहीं किया जाता। ग्रहण समाप्त होने के बाद मोक्षकाल शुरू होता है और मंदिर पुनः खोले जाते हैं। 


राशियों पर प्रभाव

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यह चंद्रग्रहण मेष, वृषभ, कन्या और धनु राशि को छोड़कर अन्य राशियों के लिए अशुभ माना गया है। ऐसे जातकों को ग्रहण दर्शन से बचने की सलाह दी जाती है। गर्भवती महिलाओं को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है। इस दौरान सोने, काटने या जोड़ने जैसे कार्यों से दूर रहना चाहिए। मंत्र जाप और भजन करना शुभ माना जाता है। खगोल विज्ञान की दृष्टि से यह ग्रहण भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत के लगभग हर हिस्से से इसे साफ आसमान में देखा जा सकेगा.