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26/11: मुंबई हमले की 17वीं बरसी पर श्रद्धांजलि

26/11 का दिन भारत के लिए एक दर्दनाक याद है। इस दिन, हम उन निर्दोष लोगों और बहादुर सुरक्षाकर्मियों को याद करते हैं, जिन्होंने मुंबई में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति दी। पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किए गए इस हमले में 150 से अधिक लोग मारे गए। जानें इस हमले की घटनाएँ और उनकी गंभीरता।
 

26/11 का आतंकवादी हमला


26 नवंबर का दिन भारत के इतिहास में एक काला अध्याय है। इस दिन, देश उन निर्दोष नागरिकों और बहादुर सुरक्षाकर्मियों को याद करता है, जिन्होंने मुंबई में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति दी। यह हमला पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किया गया था, जिसमें 60 घंटे तक चले संघर्ष में कई आम लोग, विदेशी मेहमान और उच्च रैंक के पुलिस अधिकारी मारे गए। यह घटना भारतीय सुरक्षा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।


दस आतंकवादियों ने मुंबई के विभिन्न स्थानों पर समन्वित हमले किए, जिसमें 150 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें मुंबई के प्रमुख पुलिस अधिकारी जैसे हेमंत करकरे, विजय सालस्कर, अशोक काम्टे और तुकाराम ओम्बाले शामिल थे। हमले के प्रमुख स्थल ताज महल होटल, ट्राइडेंट होटल, ओबेरॉय होटल, नरीमन हाउस, कोलाबा कॉज़वे और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस थे।


26 नवंबर की घटनाएँ

रात 9:20 बजे:


कोलाबा कॉज़वे पर लियोपोल्ड कैफे में दो आतंकवादियों ने गोलीबारी की, जिसमें 10 लोग मारे गए। यह कैफे स्थानीय लोगों और विदेशी पर्यटकों के बीच एक लोकप्रिय स्थान है। रात 11 बजे तक चार आतंकवादी ताज महल होटल में घुस गए, जबकि दो ट्राइडेंट होटल में और दो नरीमन हाउस में घुस गए। अजमल कसाब और उसके साथी आतंकवादी छत्रपति शिवाजी टर्मिनस की ओर बढ़ गए।


कसाब और उसके साथियों ने व्यस्त रेलवे स्टेशन पर यात्रियों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें 58 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए। सुबह 9:45 बजे, दो आतंकवादी नरीमन हाउस में घुस गए और वहां हमला किया।


रात 10:30 बजे:


दो आतंकवादी कामा अस्पताल की ओर बढ़े और वहां भी हमला किया। अस्पताल के कर्मचारियों ने तुरंत दरवाजे बंद कर दिए, लेकिन आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। तीन पुलिस अधिकारियों: कामटे, करकरे और सालस्कर ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन आतंकवादियों के पास बेहतर हथियार थे, जिससे वे मारे गए।


आतंकवादियों ने तीन पुलिस अधिकारियों की जीप छीन ली और भागने लगे, लेकिन पुलिस ने एक आतंकवादी को मार गिराया और कसाब को गिरफ्तार कर लिया।


ताज महल होटल में रात 11 बजे

चार आतंकवादी ताज महल होटल में घुस गए और वहां मौजूद सभी लोगों पर गोलियां चलाने लगे। मुंबई पुलिस ने विशेष बलों के आने तक आतंकवादियों को रोकने का प्रयास किया, जबकि नौसेना के कमांडो भी तैनात किए गए। ओबेरॉय-ट्राइडेंट होटल में भी इसी समय दो आतंकवादियों का एक समूह घुसा, जिसमें 30 से अधिक लोग मारे गए।


27 नवंबर की सुबह

सुबह 2:30 बजे:


भारतीय सेना के जवान होटल की लॉबी में पहुंचे।


सुबह 4:00 बजे:


पहले चरण के बचाव अभियान में 200 लोगों को रिहा किया गया, लेकिन 100 से अधिक मेहमान अभी भी बंधक बने हुए थे। ताज और ओबेरॉय ट्राइडेंट में मुठभेड़ जारी रही, जिसमें एनएसजी कमांडो आतंकवादियों से भिड़ गए।


27 से 29 नवंबर:


राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) और अन्य विशेष बलों ने मिलकर आतंकवादियों का सफाया किया। नरीमन हाउस में, एनएसजी कमांडो छत पर उतरे, जबकि पास की इमारतों में स्नाइपर्स तैनात थे। ओबेरॉय ट्राइडेंट की घेराबंदी 28 नवंबर को समाप्त हुई, जबकि ताज महल पैलेस होटल में अभियान अगले दिन तक जारी रहा।