×

74 वर्षीय पूर्व वायुसेना कर्मी ने अपनी अंतिम यात्रा का अनुभव किया

बिहार के गया जिले में 74 वर्षीय पूर्व वायुसेना कर्मी मोहनलाल ने अपनी अंतिम यात्रा का अनुभव जीवित रहते हुए किया। उन्होंने अपने गांववालों को आमंत्रित किया और फूलों से सजी अर्थी पर लेटे हुए मुक्तिधाम पहुंचे। इस अनोखी घटना ने सभी को चौंका दिया और मोहनलाल ने बताया कि वह अपनी आंखों से देखना चाहते थे कि कौन उन्हें सम्मान देता है। उन्होंने गांव में एक सुविधायुक्त मुक्तिधाम भी बनवाया है, जो समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है।
 

अनोखी अंतिम यात्रा का आयोजन

नई दिल्ली - बिहार के गया जिले के गुरारू प्रखंड के कोंची गांव में एक असाधारण घटना घटी, जिसने सभी को चौंका दिया। 74 वर्षीय पूर्व वायुसेना कर्मी मोहनलाल ने अपनी अंतिम यात्रा का अनुभव जीवित रहते हुए किया। बैंड-बाजे की धुन और ‘राम नाम सत्य है’ के नारों के बीच, मोहनलाल फूलों से सजी अर्थी पर लेटे हुए मुक्तिधाम पहुंचे, जबकि पीछे ‘चल उड़ जा रे पंछी, अब देश हुआ बेगाना’ की धुन ने माहौल को भावुक बना दिया।


सभी ने देखा अद्भुत दृश्य

मोहनलाल ने अपने गांववालों, रिश्तेदारों और दोस्तों को अपनी अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। शुरुआत में यह खबर मजाक लग रही थी, लेकिन जब लोग आए, तो माहौल गंभीर हो गया। मोहनलाल फूलों की अर्थी पर लेटे थे, और उनके पीछे सैकड़ों लोग ‘राम नाम सत्य है’ का जाप कर रहे थे। मुक्तिधाम पहुंचने पर मोहनलाल ने स्वयं अर्थी से उठकर एक प्रतीकात्मक पुतला रखा, जिसका दाह संस्कार किया गया। सभी विधियों के साथ चिता जलाई गई, और राख को नदी में प्रवाहित किया गया। अंत में सभी के लिए सामूहिक भोज का आयोजन किया गया।


मोहनलाल का अनोखा दृष्टिकोण

मोहनलाल ने बताया कि उन्होंने यह अनोखा कदम इसलिए उठाया क्योंकि “इंसान मरने के बाद नहीं देख पाता कि उसकी अंतिम यात्रा में कौन शामिल हुआ। मैं चाहता था कि अपनी आंखों से देख सकूं कि कौन मुझे स्नेह और सम्मान देता है।”


समाज के लिए प्रेरणा स्रोत

मोहनलाल न केवल समाजसेवी हैं, बल्कि उन्होंने अपने खर्चे से गांव में एक सुविधायुक्त मुक्तिधाम भी बनवाया है, ताकि बरसात के दिनों में शवदाह में किसी को परेशानी न हो। ग्रामीणों का मानना है कि उनका यह कदम पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणास्रोत है।