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Al-Aqsa Mosque पर इजरायली मंत्री का विवादास्पद दौरा: क्या बढ़ेगा तनाव?

इजरायली मंत्री इतामार बेन ग्वीर का अल-अक्सा मस्जिद का हालिया दौरा एक बार फिर विवाद का कारण बन गया है। इस दौरे के दौरान उनके द्वारा किए गए बयानों ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न की हैं। जॉर्डन ने इस कदम की कड़ी निंदा की है, इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताते हुए। बेन ग्वीर की कट्टरपंथी छवि और उनके विवादास्पद बयानों ने इस मुद्दे को और जटिल बना दिया है। इस बीच, मिस्र में इजरायल और हमास के बीच चल रही वार्ता के संदर्भ में यह दौरा शांति प्रयासों के लिए बाधा बन सकता है। जानें इस मुद्दे की गहराई में क्या है।
 

Al-Aqsa Mosque का संवेदनशील मुद्दा

Al-Aqsa Mosque : यरूशलम में स्थित अल-अक्सा मस्जिद लंबे समय से फिलिस्तीन और इजरायल के बीच एक संवेदनशील और विवादास्पद विषय बनी हुई है। यह स्थल इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थान माना जाता है, जबकि यहूदी इसे 'टेंपल माउंट' के नाम से जानते हैं और इसे अपने सबसे पवित्र स्थलों में शामिल करते हैं। इसी कारण मस्जिद परिसर में किसी भी प्रकार के बदलाव या विवाद से क्षेत्र में तनाव उत्पन्न हो जाता है। इस संदर्भ में इजरायल के दक्षिणपंथी राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन ग्वीर का हालिया दौरा एक बार फिर विवाद को बढ़ाने वाला साबित हुआ है.


इजरायली मंत्री का अल-अक्सा मस्जिद दौरा

इजरायली मंत्री का अल-अक्सा मस्जिद दौरा
7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इजरायल पर किए गए हमले के दो साल बाद, इतामार बेन ग्वीर ने अल-अक्सा मस्जिद परिसर का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से गाजा में हमास पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की अपील की। बेन ग्वीर ने कहा, “गाजा के हर घर में टेंपल माउंट की तस्वीर होती है और अब हम टेंपल माउंट पर जीत रहे हैं। हम टेंपल माउंट के मालिक हैं।” उनके इस बयान ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी प्रतिक्रिया उत्पन्न की है। उन्होंने इस दौरे के दौरान यह भी दावा किया कि इजरायल की स्थिति मस्जिद परिसर में मजबूत है.


जॉर्डन का विरोध

इजरायली मंत्री के इस कदम पर जॉर्डन का विरोध
इजरायली मंत्री के इस कदम पर जॉर्डन ने तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है। जॉर्डन के विदेश मंत्रालय ने इसे अंतरराष्ट्रीय और मानवीय कानूनों का उल्लंघन बताते हुए कड़ी निंदा की। मंत्रालय के प्रवक्ता फौआद माजाली ने कहा कि यह कदम मस्जिद की ऐतिहासिक और कानूनी स्थिति का उल्लंघन है और पवित्र स्थल की पवित्रता का अपमान है। उन्होंने चेतावनी दी कि यरूशलम के इस्लामिक और ईसाई स्थलों पर इस तरह के भड़काऊ उल्लंघनों के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। जॉर्डन इस मसले को लेकर क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए गंभीर चिंता जता रहा है.


बेन-ग्वीर की कट्टरपंथी छवि

बेन-ग्वीर की कट्टरपंथी छवि और विवादित बयान
इतामार बेन ग्वीर को इजरायल में एक कट्टर दक्षिणपंथी नेता माना जाता है। वे 'Jewish Power' पार्टी के प्रमुख हैं और नेतन्याहू की सरकार का अहम हिस्सा हैं। उन्होंने पहले भी धमकी दी थी कि यदि हमास को पूरी तरह खत्म नहीं किया गया, तो वे सरकार से इस्तीफा दे देंगे। इसके अलावा, उन्होंने कई बार मस्जिद परिसर में यहूदी प्रार्थना की है, जो फिलिस्तीनियों और मुस्लिम देशों के लिए अस्वीकार्य है। उनके ये कदम बार-बार क्षेत्रीय तनाव को बढ़ाते रहे हैं.


अल-अक्सा मस्जिद का महत्व

अल-अक्सा मस्जिद का धार्मिक और राजनीतिक महत्व
अल-अक्सा मस्जिद न केवल इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है, बल्कि यहूदी धर्म के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। मस्जिद का प्रबंधन जॉर्डन की धार्मिक संस्था के अधीन है और फिलिस्तीनियों को यहाँ प्रार्थना की अनुमति है। हालांकि, यहूदी केवल परिसर में आ सकते हैं, लेकिन प्रार्थना नहीं कर सकते। इन नियमों की अवहेलना अक्सर विवाद का कारण बनती है। नेतन्याहू ने कई बार कहा है कि वे मस्जिद परिसर की नियत स्थिति को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन बेन ग्वीर के कार्य इस प्रतिबद्धता के विपरीत देखे जाते हैं.


इजरायल-हमास वार्ता

मिस्र में जारी इजरायल-हमास वार्ता
यह घटना उस वक्त हुई है जब मिस्र में इजरायल और हमास के बीच अप्रत्यक्ष वार्ता चल रही है, जिसका उद्देश्य गाजा में बंदी बनाए गए इजरायली नागरिकों की रिहाई और युद्ध समाप्ति पर सहमति बनाना है। ऐसे समय में बेन ग्वीर का यह दौरा और उसका प्रबल बयान शांति प्रयासों के लिए बाधा बन सकता है और क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा सकता है.


राजनीतिक विवाद

इजरायली मंत्री के दौरे से बढ़ा राजनीतिक विवाद
इस प्रकार, इजरायली मंत्री इतामार बेन ग्वीर का अल-अक्सा मस्जिद परिसर का दौरा न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला था, बल्कि उसने क्षेत्रीय राजनीतिक विवादों को भी और जटिल बना दिया है। जॉर्डन सहित कई मुस्लिम और अरब देशों ने इसे कड़ी निंदा की है और इस घटना के गंभीर परिणामों की चेतावनी दी है। ऐसे में शांति प्रक्रिया के बीच इस तरह की घटनाएं तनाव को कम करने की बजाय बढ़ा सकती हैं.