Bihar Election 2025: आधार कार्ड को नागरिकता का प्रमाण नहीं मानता चुनाव आयोग
Bihar Election 2025: चुनाव आयोग का महत्वपूर्ण बयान
Bihar Election 2025: भारत के चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जा सकता। यह बयान बिहार में मतदाता सूची के विशेष संशोधन से संबंधित सुनवाई के दौरान दिया गया, जहां अवैध प्रवासियों को मतदाता सूची से हटाने की मांग की जा रही है। आयोग ने कहा कि आधार कार्ड केवल पहचान का साधन है, न कि नागरिकता का दस्तावेज, और इस आधार पर मतदाता सूची से नाम हटाना उचित नहीं होगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में यह दावा किया गया है कि बिहार में बड़ी संख्या में अवैध प्रवासी मतदाता सूची में शामिल हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। चुनाव आयोग ने अपने उत्तर में जोर देकर कहा कि मतदाता सूची को संशोधित करने के लिए ठोस और वैधानिक प्रक्रिया का पालन किया जाता है, जिसमें आधार कार्ड की भूमिका सीमित है.
आधार कार्ड की सीमाएँ
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आधार कार्ड एक असाधारण पहचान संख्या है, जो किसी व्यक्ति की नागरिकता की पुष्टि नहीं करता है। आयोग के वकील ने कहा, "आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है।" इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि मतदाता सूची से किसी का नाम हटाने के लिए केवल आधार कार्ड के आधार पर निर्णय नहीं लिया जा सकता। इसके बजाय, नागरिकता की जांच के लिए अन्य दस्तावेजों, जैसे पासपोर्ट, जन्म प्रमाण पत्र या अन्य सरकारी दस्तावेजों की आवश्यकता होती है.
बिहार में मतदाता सूची संशोधन की प्रक्रिया
बिहार में मतदाता सूची के संशोधन को लेकर चुनाव आयोग ने अपनी प्रक्रिया को पूरी तरह से स्पष्ट और निष्पक्ष बताया। आयोग ने कहा कि मतदाता सूची से अवैध नाम हटाने के लिए एक व्यवस्थित प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसमें स्थानीय स्तर पर जांच और आपत्तियों को दर्ज करने का प्रावधान शामिल है। इस प्रक्रिया में किसी भी व्यक्ति को बिना उचित जांच के मतदाता सूची से नहीं हटाया जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और याचिका
सुप्रीम कोर्ट में यह मामला तब सामने आया जब एक याचिका दायर की गई, जिसमें बिहार की मतदाता सूची में अवैध प्रवासियों के नाम होने का दावा किया गया। याचिकाकर्ताओं ने मांग की कि आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों के आधार पर इन नामों को हटाया जाए। हालांकि, चुनाव आयोग ने इस दावे का विरोध करते हुए कहा कि आधार कार्ड का उपयोग केवल पहचान के लिए किया जाता है, न कि नागरिकता सत्यापन के लिए.