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भारतीय सेना को मिलेंगे अपाचे हेलीकॉप्टर: अमेरिका से डिलीवरी का इंतजार खत्म

भारतीय सेना को अमेरिका से अपाचे एएच-64ई अटैक हेलीकॉप्टरों की पहली खेप मिलने की उम्मीद है, जो ऑपरेशन सिंदूर के तहत पश्चिमी सीमा पर लड़ाकू क्षमताओं को मजबूत करेगा। 600 मिलियन डॉलर के सौदे के तहत, ये हेलीकॉप्टर पहले तीन बैच में 22 जुलाई को भारतीय सेना को सौंपे जा सकते हैं। जोधपुर में पहले से तैयार स्क्वाड्रन को हेलीकॉप्टरों की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे सेना की युद्ध तत्परता प्रभावित हुई है। अपाचे हेलीकॉप्टरों की विशेषताएँ और भारतीय सेना की अन्य ताकतें भी इस लेख में शामिल हैं।
 

अपाचे एएच-64ई हेलीकॉप्टर की डिलीवरी का समय

करीब 15 महीनों की देरी के बाद, भारतीय सेना को अमेरिका से मंगाए गए अत्याधुनिक अपाचे एएच-64ई अटैक हेलीकॉप्टर की पहली खेप मिलने की उम्मीद है। यह डिलीवरी ऑपरेशन सिंदूर के तहत सेना की पश्चिमी सीमा पर लड़ाकू क्षमताओं को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, पहले तीन हेलीकॉप्टर 22 जुलाई को भारतीय सेना की एविएशन कोर को सौंपे जा सकते हैं।


600 मिलियन डॉलर का सौदा

अमेरिका से हुआ था 600 मिलियन डॉलर का सौदा

भारतीय सेना ने 2020 में अमेरिका के साथ 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुबंध किया था, जिसके तहत छह अपाचे हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति की जानी थी। डिलीवरी मई-जून 2024 तक पूरी होनी थी, लेकिन अमेरिका में तकनीकी समस्याओं और सप्लाई चेन में रुकावटों के कारण यह समयसीमा दिसंबर 2024 तक बढ़ गई। हेलीकॉप्टरों को दो बैचों में भारत आना था, लेकिन पहला बैच अब तक भारत नहीं पहुंच पाया है।


जोधपुर में तैयार स्क्वाड्रन

जोधपुर में तैयार स्क्वाड्रन

मार्च 2024 में जोधपुर के नागतलाव में भारतीय सेना ने पहला अपाचे स्क्वाड्रन तैयार किया। पायलटों और ग्राउंड स्टाफ को पूरी ट्रेनिंग दी गई, लेकिन अब तक स्क्वाड्रन के पास हेलीकॉप्टर नहीं हैं। इस देरी ने पश्चिमी सीमा पर खतरों को देखते हुए सेना की युद्ध तत्परता को प्रभावित किया है।


अपाचे हेलीकॉप्टर की विशेषताएँ

अपाचे की खूबियां

अपाचे एएच-64ई हेलीकॉप्टर दुनिया के सबसे उन्नत अटैक हेलीकॉप्टरों में से एक माने जाते हैं। इनमें अत्याधुनिक टार्गेटिंग सिस्टम, लंबी दूरी की मारक क्षमता और उड़ान में चपलता शामिल है। ये दुश्मन के टैंकों, बंकरों और ग्राउंड टारगेट्स को बेहद सटीकता से निशाना बना सकते हैं। भारतीय वायुसेना ने 2015 में 22 अपाचे हेलीकॉप्टर पहले ही शामिल कर लिए थे, जबकि सेना को अब तक इनका इंतजार करना पड़ा।


एविएशन कोर की ताकत

एविएशन कोर की अन्य ताकतें

भारतीय सेना की एविएशन कोर, जो अग्रिम मोर्चों पर कार्यरत रहती है, के पास पहले से ही कई उन्नत हेलीकॉप्टर और विमानों की एक विस्तृत श्रृंखला है। इसमें ध्रुव ALH, रुद्र (सशस्त्र ALH), चेतक, चीता, और लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) शामिल हैं। हाल ही में तटरक्षक बल के एक ALH के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद इसकी उड़ानों पर अस्थायी रोक लगाई गई थी, जिसे अब सीमित रूप से मंजूरी दी गई है।


UAVs और अन्य संसाधन

UAVs और अन्य संसाधन

सेना निगरानी और टोही अभियानों के लिए हेरॉन और सर्चर UAVs का भी उपयोग करती है। इसके अलावा MI-17 हेलीकॉप्टरों का प्रयोग निकासी और रसद अभियानों के लिए किया जाता है, जबकि डोर्नियर 228 जैसे फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट संचार और टोही में मदद करते हैं।


ऑपरेशन सिंदूर को मिलेगा नया बल

ऑपरेशन सिंदूर को मिलेगा नया बल

अपाचे हेलीकॉप्टरों की तैनाती से भारतीय सेना की आक्रामक और रक्षात्मक दोनों क्षमताओं में बड़ा सुधार होगा। ऑपरेशन सिंदूर के तहत चल रहे अभियानों में यह नया आयाम सेना की रणनीतिक तैयारियों को मजबूती देगा। अपाचे के आने से पश्चिमी सीमा पर किसी भी संभावित खतरे से निपटने में सेना पहले से कहीं अधिक सक्षम होगी.