×

ED की बड़ी कार्रवाई: हरियाणा के पूर्व IAS अधिकारी की 14 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हरियाणा के रिटायर्ड IAS अधिकारी मुरारी लाल तायल के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है, जिसमें उनकी 14 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई है। यह कार्रवाई CBI की FIR पर आधारित है, जो मानेसर जमीन घोटाले से संबंधित है। तायल और उनके परिवार पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। यह कदम भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश देता है और समाज को यह बताता है कि प्रभावशाली अधिकारी भी कानून से नहीं बच सकते। जानें इस कार्रवाई के पीछे की पूरी कहानी।
 

ED की कार्रवाई: 14 करोड़ की संपत्ति का जब्त होना

ED की कार्रवाई: हरियाणा के पूर्व IAS अधिकारी की संपत्ति कुर्क - प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हरियाणा के रिटायर्ड IAS अधिकारी मुरारी लाल तायल के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। चंडीगढ़, नई दिल्ली और गुरुग्राम में उनकी 14 करोड़ रुपये की संपत्ति को कुर्क किया गया है।


यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण पहल है। आइए, इस कार्रवाई के पीछे की वजहों को समझते हैं।


ED का सख्त कदम: 14 करोड़ की संपत्ति का जब्त होना


प्रवर्तन निदेशालय ने मुरारी लाल तायल, उनकी पत्नी सविता तायल और बेटे कार्तिक तायल के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के आरोप में कार्रवाई की। ED ने चंडीगढ़, दिल्ली और गुरुग्राम में 9 संपत्तियों, जिनमें 2 घर और 7 अपार्टमेंट शामिल हैं, को कुर्क किया।


इसके अलावा, 14.06 करोड़ रुपये का बैंक बैलेंस भी अटैच किया गया। यह कार्रवाई CBI की एक FIR पर आधारित है, जो 2015 में मानेसर जमीन घोटाले के सिलसिले में दर्ज की गई थी।


तायल 2005 से 2009 तक हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रधान सचिव रहे। इस दौरान उनकी शक्ति और प्रभाव हरियाणा में काफी था। ED की जांच में यह सामने आया कि तायल और उनके परिवार ने 2006 से 2014 के बीच अवैध तरीके से संपत्ति अर्जित की। यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त संदेश देती है।


जांच का आधार: CBI की FIR और भ्रष्टाचार के आरोप


ED की यह कार्रवाई CBI द्वारा 2015 और 2017 में दर्ज FIRs पर आधारित है। पहली FIR मानेसर जमीन घोटाले से संबंधित थी, जिसमें तायल का नाम शामिल था।


2017 में CBI ने तायल, उनकी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का एक अलग मामला दर्ज किया। जांच में तायल के वित्तीय लेन-देन, आयकर रिकॉर्ड और शेयर बाजार के लेन-देन की जांच की गई।


सविता तायल, जो 2012 में सरकारी कॉलेज की प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुई थीं, को हुड्डा सरकार ने हरियाणा लोक सेवा आयोग का सदस्य बनाया था। ED ने पाया कि तायल परिवार ने अपनी आय से कहीं अधिक संपत्ति जमा की, जो भ्रष्टाचार का परिणाम थी। यह जांच पारदर्शिता और जवाबदेही की मिसाल है।


भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश


यह कार्रवाई समाज को यह संदेश देती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई रियायत नहीं बरती जाएगी। मुरारी लाल तायल जैसे प्रभावशाली अधिकारी भी कानून की नजर से नहीं बच सकते। ED और CBI की इस संयुक्त कार्रवाई से न केवल भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी, बल्कि जनता का भरोसा भी मजबूत होगा।


हरियाणा में भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐसी कार्रवाइयां जरूरी हैं। यह हमें यह भी याद दिलाता है कि सत्ता और प्रभाव का दुरुपयोग करने वालों को जवाबदेह होना पड़ेगा। समाज को चाहिए कि ऐसी कार्रवाइयों का समर्थन करे और एक पारदर्शी व्यवस्था के लिए आगे आए।