ED ने रिलायंस पावर के खिलाफ फर्जी बैंक गारंटी मामले में कार्रवाई की
नई दिल्ली में ED की कार्रवाई
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने M/s Reliance Power Limited द्वारा Solar Energy Corporation of India (SECI) को प्रस्तुत की गई कथित फर्जी बैंक गारंटी के मामले में एक पूरक अभियोजन शिकायत दायर की है। यह बैंक गारंटी SECI के एक महत्वपूर्ण टेंडर को प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत की गई थी। मामले के उजागर होने के बाद, ED ने इस पूरे प्रकरण की गहन जांच शुरू की, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
जांच की शुरुआत
ED ने EOW दिल्ली द्वारा दर्ज की गई दो FIRs के आधार पर इस मामले की जांच शुरू की। पहली FIR SECI की शिकायत पर M/s Reliance NU BESS Ltd (Reliance Power की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी) के खिलाफ दर्ज की गई थी। दूसरी FIR Reliance NU BESS Ltd ने M/s Biswal Tradelink Pvt Ltd और उसके MD पार्थ सारथी बिस्वाल के खिलाफ दर्ज कराई थी।
टेंडर का विवरण
क्या है मामला
SECI ने 1000 MW / 2000 MWh स्टैंडअलोन BESS प्रोजेक्ट के लिए टेंडर जारी किया था। इस टेंडर में बोली लगाने वालों को 68.2 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा करनी थी। यदि बैंक गारंटी विदेशी बैंक की होती, तो उसे उस बैंक की भारतीय शाखा या SBI द्वारा एंडोर्स करवाना आवश्यक था।
PMLA जांच में खुलासे
PMLA जांच में हुआ खुलासा
PMLA जांच में यह सामने आया कि Reliance Power Ltd ने जानबूझकर शेल कंपनी M/s Biswal Tradelink Pvt Ltd की सहायता से फर्जी बैंक गारंटी तैयार की। ये गारंटी FirstRand Bank, Manila (जो वास्तव में अस्तित्व में नहीं है) और ACE Investment Bank Ltd, Malaysia के नाम पर बनाई गई थी। इन फर्जी गारंटियों को असली दिखाने के लिए SBI के नाम से स्पूफ्ड ईमेल आईडी, फर्जी एंडोर्समेंट लेटर और नकली डोमेन—s-bi.co.in का उपयोग किया गया, जो SBI के असली डोमेन sbi.co.in के समान दिखता था।
हेराफेरी का खुलासा
करोड़ों रुपये की हेराफेरी
जांच में ED को यह भी पता चला कि Reliance Power ने अपनी दूसरी सहयोगी कंपनी Rosa Power Supply Company Ltd से 6.33 करोड़ रुपये Biswal Tradelink को भेजे। यह राशि "ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज" के नाम पर भेजी गई, लेकिन जब इसकी जांच की गई, तो पता चला कि सभी वर्क ऑर्डर और इनवॉइस फर्जी थे।
फर्जी बैंक गारंटी तैयार करने के बाद, Reliance Power ने शेल कंपनी को 5.40 करोड़ रुपये की बड़ी फीस भी दी, ताकि पूरा लेन-देन अधिकृत और सही प्रतीत हो। लेकिन जब SECI ने गारंटी में गड़बड़ी पकड़ ली, तो रिलायंस ग्रुप ने एक दिन में ही IDBI Bank की असली बैंक गारंटी जमा कर दी। हालांकि, SECI ने इसे तय तारीख निकल जाने के कारण स्वीकार नहीं किया।
टेंडर को बचाने के लिए Reliance NU BESS Ltd के अधिकारियों ने SBI की कोलकाता शाखा से फर्जी विदेशी बैंक गारंटी की नई एंडोर्समेंट कराने का प्रयास किया। इसके लिए उन्होंने नकली एग्रीमेंट बनाए और कोलकाता नगर निगम को बोगस एड्रेस देकर "Certificate of Enlistment" हासिल किया, लेकिन फिर भी उन्हें एंडोर्समेंट नहीं मिल सका। इसके बाद रिलायंस ने पूरा दोष Biswal Tradelink और उसके MD पर डालने के लिए शिकायत भी दर्ज कर दी।
ED की कार्रवाई
ED का कहना है कि उनकी जांच में रिलायंस ग्रुप की गलत नीयत, मिलीभगत, और जालसाजी की पूरी साजिश साबित हुई है। इस मामले में Reliance Power के CFO अशोक कुमार पाल और कई अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। वर्तमान में सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं।
ED ने सप्लीमेंट्री शिकायत दाखिल करने से पहले 5.15 करोड़ रुपये की अवैध कमाई भी अटैच कर दी है।
आरोपियों की सूची
आरोपियों के नाम...
1. पार्थ सारथी बिस्वाल
2. मैसर्स बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड
3. मैसर्स बायोथेन केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड
4. अमर नाथ दत्त
5. रविंदर पाल सिंह चड्ढा
6. मैसर्स रिलायंस एनयू बीईएसएस लिमिटेड
7. मैसर्स रोजा पावर सप्लाई कंपनी लिमिटेड
8. मनोज भाईसाहब पोंगड़े
9. मैसर्स रिलायंस पावर लिमिटेड
10. अशोक कुमार पाल
11. पुनीत नरेंद्र गर्ग