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विदेशी मेहमानों को भाया मप्र का आतिथ्य, भारतीय संस्कृति-परम्परा व संगीत ने मोह लिया मन

 








- यूरेशियन एशियन ग्रुप की 41वीं प्लेनरी मीटिंग के समापन पर हुआ सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आयोज

इंदौर, 28 नवंबर (हि.स.)। देश के सबसे स्वच्छ शहर और मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में चल रही मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए इन दिनों यूरेशियन यूरेशियन एशियन ग्रुप (ईएजी) की 41वीं प्लेनरी बैठक चल रही है। इसमें शामिल होने आए विदेशी मेहमानों का भारतीय संस्कृति के अनुसार, स्वागत-सत्कार किया गया, जो कि उन्हें बेहद पसंद आया। इसके साथ ही ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर इंदौर में आयोजित इस बैठक के चौथे दिन गुरुवार शाम को समापन कार्यक्रम के अवसर पर मप्र संस्कृति संचालनालय द्वारा अन्तरराष्ट्रीय स्तर की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां संयोजित की गई। कार्यक्रम में आतिथ्य, भारतीय संस्कृति, परम्परा, संगीत और कलाओं ने विदेशी मेहमानों का मन मोह लिया।

गुरुवार शाम को सजी इस सांस्कृति संध्या की पहली प्रस्तुति विश्व प्रसिद्ध मैहर वाद्यवृंद की सांगीतिक प्रस्तुति हुई, जिसकी शुरुआत मार्च फास्ट की धुन से हुई। नलतरंग, सितार, सरोद, तबला, हारमोनियम, वायलिन, सारंगी, इसराज जैसे वाद्ययंत्रों से निकली सुरीली धुनों ने देश—विदेश से पधारे अतिथियों का मन मोह लिया। इसके बाद सिंदूरा धुन प्रस्तुत की गई। देवी के सिंदूर को देखकर महान संगीतज्ञ उस्‍ताद अलाउद्दीन खां ने यह धुन बनाई थी। इसका प्रभाव यह होता है कि जब व्यक्ति देवी के सामने होता है तो मन में जो उमंग आती है इस धुन में उसी का चित्रण होता है। इसके बाद घूमर धुन की प्रस्तुति हुई। इस धुन को सुन अतिथियों को उमंग और सम्मान की अनुभूति हुई। अंतिम प्रस्तुति बागेश्री कानड़ा की रही। विश्व प्रसिद्ध अली अकबर द्वारा रचित यह रचना, जिसमें सामूहिक वातावरण का प्रदर्शन किया जाता है। इसमें सवाल-जवाब झाला इत्यादि का बहुत ही आकर्षक चित्रण किया गया है।

अगली प्रस्तुति सितार-मोहन वीणा जुगलबंदी की रही। इसमें इंदौर के सुप्रसिद्ध सितार वादक पंडित अरुण मोरोने और मोहन वीणा वादक पंडित सतीश खानवलकर की जुगलबंदी ने सभागार में शास्त्रीय संगीत के सौंदर्य को बिखेर दिया। उनकी प्रस्तुति राग चारुकेशी पर आधारित रही, जिसमें एक लघु आलाप, दो बंदिशें जो तीन ताल में निबद्ध रहीं, प्रस्तुत की। प्रस्‍तुति का समापन द्रुत झाला के साथ हुआ। तबले पर उमेश बाकरे और कुणाल लहरे ने संगत की।

कार्यक्रम के अगले क्रम में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त कोरियोग्राफर जयलक्ष्मी ईश्वर द्वारा संकल्पित और संयोजित मध्य प्रदेश भारत की “स्वर की समता” में मध्य प्रदेश और देश की संस्कृति, परम्परा और पर्यटन को रेखांकित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत माता पृथ्वी पर आधारित श्लोकों से हुई, इसके बाद भारत और ईएजी देशों की सांस्कृतिक विविधता नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत की गई। इसके बाद मध्य प्रदेश की प्रमुख विरासत और संस्कृति को नृत्य और दृश्यों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। कपड़ों की विरासत प्रस्तुति में महारानी अहिल्याबाई होल्कर को महेश्वरी साड़ी की परम्परा को स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। इस खंड में बुनाई संस्कृति को प्रदर्शित किया गया। अंत में ग्रैंड सिंफनी प्रस्तुति के अंतर्गत वैश्विक अस्तित्व के सामंजस्यपूर्ण संगीत के रूपक को प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति सुप्रसिद्ध फ़िल्मीट्रॉनिक्स बैंड की रही। अपने जोशीले अंदाज और ऊर्जा से भरी आवाज से बैंड ने संपूर्ण सभागार में उपस्थित अतिथियों को संगीत के जादू में बांध दिया। उन्होंने हॉलीवुड, बॉलीवुड के साथ रॉक म्यूजिक आधारित गीतों से शाम को यादगार बना दिया। इस बैंड का संयोजन मर्लिन डिसूजा ने किया। कार्यक्रम में केंद्रीय अतिरिक्त वित्त सचिव विवेक अग्रवाल, ईएजी प्लेनरी ग्रुप अध्यक्ष यूरी चिकानचिन, मप्र संस्कृति विभाग के संचालक एन. पी.नामदेव, संभाग आयुक्त दीपक सिंह, कलेक्टर आशीष सिंह सहित ईएजी प्लेनरी ग्रुप के सदस्य देशों के प्रतिनिधि गण उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर