G-4 विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत की भूमिका और आतंकवाद पर चर्चा
G-4 विदेश मंत्रियों की महत्वपूर्ण बैठक
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने न्यूयॉर्क में आयोजित G-4 विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लिया, जिसमें जापान, जर्मनी और ब्राजील के विदेश मंत्री भी शामिल थे। इस बैठक में मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र में सुधारों, विशेषकर सुरक्षा परिषद के सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया।
जयशंकर ने अपने सोशल मीडिया पर बैठक की जानकारी साझा करते हुए कहा कि उन्हें अपने सहयोगियों ताकेशी इवाया, जोहान वेडेपुल और मौरो विएरा के साथ इस बैठक में शामिल होकर खुशी हुई। G-4 ने संयुक्त राष्ट्र और विशेषकर सुरक्षा परिषद में सुधार की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया और इंटर गवर्नमेंट नेगोशिएशन (IGN) की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की।
G-4 ने सुरक्षा परिषद के विस्तार की मांग की, ताकि यह मौजूदा भौगोलिक और राजनीतिक परिस्थितियों को सही तरीके से दर्शा सके। उन्होंने विकासशील देशों की भागीदारी को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे UNSC को और अधिक समावेशी और प्रतिनिधिक बनाया जा सके।
G-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में, जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया, मिश्र और मलेशिया के विदेश मंत्रियों से भी मुलाकात की। उन्होंने आतंकवाद के विकास को शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए कहा कि आतंकवादियों के बीच गहरे नेटवर्क को देखते हुए, जो भी उनके खिलाफ कार्रवाई करता है, वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सेवा करता है।
हालांकि उन्होंने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बयान का संदर्भ स्पष्ट था, जो भारत द्वारा पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर की गई कार्रवाई की ओर इशारा करता था। जयशंकर ने पश्चिमी देशों की दोहरी नीति की भी आलोचना की, विशेषकर रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में।
उन्होंने कहा कि रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों ने कई देशों के लिए आपूर्ति श्रृंखला और लागत को गंभीर चुनौती बना दिया है। अमेरिका का नाम लिए बिना, उन्होंने भारत द्वारा रूसी तेल खरीद पर लगाए गए दंडात्मक शुल्क की आलोचना की। भारत ने पिछले साल G-20 की अध्यक्षता की थी, और इस साल यह जिम्मेदारी दक्षिण अफ्रीका को सौंपी गई है। न्यूयॉर्क में हुई चर्चाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत न केवल UNSC सुधारों के प्रति अपने रुख पर अडिग है, बल्कि आतंकवाद और आर्थिक दबाव जैसे वैश्विक मुद्दों पर भी एक स्वतंत्र नीति अपनाए हुए है।