H-1B वीजा पर नया शुल्क: अमेरिकी कंपनियों पर पड़ेगा गहरा असर
H-1B वीजा पर नया शुल्क
H-1B वीजा का प्रभाव: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने "अमेरिकी नौकरियों की सुरक्षा" के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिसके तहत H-1B वीजा आवेदकों से 100,000 अमेरिकी डॉलर का शुल्क लिया जाएगा। यह निर्णय यह सुनिश्चित करने के लिए है कि केवल सबसे योग्य विदेशी श्रमिक ही अमेरिकी कार्यबल में शामिल हों। ट्रंप का यह आदेश 21 सितंबर से लागू होगा।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ
सोशल मीडिया पर मिक्स रिएक्शन्स
जैसे ही यह खबर सोशल मीडिया पर फैली, लोगों की प्रतिक्रियाएँ आनी शुरू हो गईं, खासकर भारत में, जहां लाखों H-1B वीजा धारक कार्यरत हैं। इस आदेश पर सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई। कुछ उपयोगकर्ता इस कदम का समर्थन कर रहे थे, जबकि अन्य ने इसकी आलोचना की।
मिचियो काकू का वायरल वीडियो
मिचियो काकू का वायरल वीडियो
इस बीच, मिचियो काकू का एक पुराना वीडियो भी वायरल हो गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर अमेरिका में विदेशी कामकाजी लोगों, विशेषकर भारत और चीन से आने वाले कुशल कर्मचारियों को हटाया गया, तो यह अमेरिकी कंपनियों, जैसे कि गूगल, के लिए भारी नुकसान साबित होगा। उन्होंने यह भी कहा कि सिलिकॉन वैली जैसी जगह संभव नहीं हो सकती बिना इन देशों के कुशल कार्यकर्ताओं के।
वीडियो पर प्रतिक्रियाएँ
वीडियो पर प्रतिक्रियाएँ
इस वीडियो को देखकर कई लोग मिचियो काकू के विचारों से सहमत हो गए, जबकि कुछ ने इसे नकारात्मक रूप से लिया। एक उपयोगकर्ता ने कहा, "ट्रंप ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को 100K डॉलर की फीस लगाकर समाप्त कर दिया है," जबकि अन्य ने इसे अमेरिका में छात्रों के लिए बेहतर अवसरों की शुरुआत के रूप में देखा। कुछ ने इसे सकारात्मक रूप से देखा, मानते हुए कि यह अमेरिकी छात्रों के लिए अधिक नौकरियाँ खोलेगा।
अमेरिकी कंपनियाँ और H-1B वीजा धारक
अमेरिकी कंपनियाँ और H-1B वीजा धारक
कुछ लोग इस आदेश को अमेरिकी कंपनियों के लिए हानिकारक मानते हैं। उनका कहना है कि इस बदलाव से बड़ी कंपनियाँ, जो H-1B वीजा धारकों पर निर्भर हैं, बुरी तरह प्रभावित होंगी। वहीं कुछ ने इसे "सस्ता काम" और "प्रतिभा" के बीच भेद करने का प्रयास बताया।
नए आदेश का असर
नए आदेश का असर
यह नया आदेश 21 सितंबर से लागू होगा, और इसके परिणामस्वरूप, अमेरिकी कंपनियाँ अब H-1B वीज़ा के लिए अधिक शुल्क अदा करने को मजबूर होंगी। हालांकि, यह कदम अमेरिकी कार्यबल के लिए कुछ नए अवसर भी ला सकता है, जो लंबे समय से बेरोज़गार हैं।
अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण
अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण
इस कदम के बाद, भारत सहित अन्य देशों में, जहां से H-1B वीज़ा धारक अमेरिका जाते हैं, इस निर्णय के गंभीर परिणामों पर चर्चा हो रही है। कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों के बिना काम चलाना मुश्किल हो सकता है, खासकर तकनीकी क्षेत्र में, जहां इन कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह निर्णय निश्चित रूप से अमेरिका में रोजगार की संरचना में एक बड़ा बदलाव लाएगा, और इसके प्रभाव को समय के साथ देखा जाएगा।