H-1B वीजा शुल्क में भारी वृद्धि: क्या भारतीय पेशेवरों पर पड़ेगा असर?
H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि
H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि: अमेरिका ने H-1B वीजा के नए आवेदकों के लिए शुल्क में कई गुना बढ़ोतरी की है, जिससे विदेशी कुशल श्रमिकों के लिए अमेरिका में प्रवेश और भी कठिन हो गया है। अब, H-1B वीजा के लिए आवेदन करने वालों को 1,00,000 डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) का शुल्क चुकाना होगा, जबकि पहले यह शुल्क 1 से 8 लाख रुपये के बीच था। इस निर्णय का उद्देश्य विदेशी श्रमिकों की संख्या को नियंत्रित करना और केवल 'टॉप टैलेंट' को अमेरिका में लाना है।
सक्षम और योग्य लोगों की प्राथमिकता
सक्षम और योग्य लोग ही अमेरिका में आएं
अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने इस निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि केवल सबसे सक्षम और योग्य लोग ही अमेरिका में काम करने के लिए आएं। उनका कहना था, "अमेरिकी नौकरी बाजार में अमेरिकियों को प्राथमिकता देना जरूरी है और आने वाले लोगों में टॉप टैलेंट होना चाहिए।" उन्होंने यह भी कहा कि यह निर्णय अमेरिकी खजाने के लिए 100 अरब डॉलर से ज्यादा जमा करेगा और नए रोजगार सृजन में मदद करेगा।
भारतीय पेशेवरों पर प्रभाव
भारतीय प्रोफेशनल्स पर असर
यह नई नीति विशेष रूप से भारत से अमेरिका में काम करने वाले पेशेवरों पर प्रभाव डालने वाली है। 21 सितंबर से लागू हुए इस फैसले ने अमेरिकी वीजा धारकों, खासकर भारतीयों को चौंका दिया है। भारतीय पेशेवरों की संख्या H-1B वीजा धारकों में 70% से अधिक है, और इस कदम से अमेरिका में काम करने की योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
H-1B वीजा का दुरुपयोग
कई कंपनियां इस वीजा का गलत उपयोग कर रही हैं
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा प्रणाली के दुरुपयोग का हवाला देते हुए कहा कि यह अमेरिकी श्रमिकों की नौकरियां छीनने का कारण बन रही है और इसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई आउटसोर्सिंग कंपनियां इस वीजा का गलत उपयोग कर रही हैं, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग और वीजा धोखाधड़ी जैसी गतिविधियों का खतरा उत्पन्न हो रहा है।
नई फीस का विवरण
नई फीस सिर्फ नए आवेदकों पर लागू
व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि यह शुल्क केवल नए वीजा आवेदकों पर लागू होगा, और पहले से मौजूद H-1B वीजा धारकों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने कहा कि यह शुल्क एकमुश्त है और रिन्यूअल पर लागू नहीं होगा। इसके अलावा, वर्तमान वीजा धारक जो देश से बाहर हैं, उन्हें इस शुल्क का भुगतान नहीं करना होगा।
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर प्रभाव
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर असर
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों पर चर्चा चल रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले का असर भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर पड़ेगा, क्योंकि यह विशेष रूप से भारतीय कंपनियों और पेशेवरों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। नैसकॉम जैसे उद्योग संघों ने इस नीति के चलते व्यापारिक प्रोजेक्ट्स में रुकावट की आशंका जताई है।
समाज पर संभावित प्रभाव
समाज पर संभावित प्रभाव
इस नई नीति का सबसे बड़ा प्रभाव भारत के टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल्स और उन कंपनियों पर पड़ने वाला है जो H-1B वीज़ा पर निर्भर हैं। खासकर बड़ी भारतीय आईटी कंपनियाँ जैसे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), इंफोसिस और विप्रो, जो अमेरिका में बड़ी संख्या में काम कर रही हैं, इस नीति से प्रभावित हो सकती हैं।
अमेरिका की नई इमिग्रेशन नीति
अमेरिका का यह कदम वीजा शुल्क बढ़ाने और इमिग्रेशन नीति को सख्त बनाने का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य केवल शीर्ष गुणवत्ता वाले पेशेवरों को आकर्षित करना है। हालांकि, इससे विदेशी श्रमिकों के लिए अमेरिका में प्रवेश की राह और भी कठिन हो जाएगी, और इसका असर भारतीय तकनीकी पेशेवरों और कंपनियों पर भी पड़ सकता है।