H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि: क्या भारतीय पेशेवरों का भविष्य खतरे में है?
H-1B वीजा शुल्क में बदलाव की खबर
H-1B वीजा शुल्क समाचार: Microsoft, JP Morgan, और Amazon ने अपने H-1B वीजा धारकों से अनुरोध किया है कि वे अमेरिकी सरकार द्वारा नए शुल्क की घोषणा के बाद देश छोड़ने से बचें। ट्रंप प्रशासन द्वारा 100,000 अमेरिकी डॉलर के वार्षिक शुल्क की घोषणा के बाद, ये कंपनियां अपने कर्मचारियों को सुरक्षित रहने और विदेश यात्रा से दूर रहने की सलाह दे रही हैं। यह निर्णय भारतीय आईटी और पेशेवर श्रमिकों पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि भारतीय H-1B वीजा धारकों में एक बड़ा हिस्सा हैं।
ट्रंप का नया आदेश और इसके प्रभाव
H-1B वीजा धारकों के लिए ट्रंप का नया आदेश
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा धारकों पर 100,000 अमेरिकी डॉलर का वार्षिक शुल्क लगाने की घोषणा की है। इसे वीजा कार्यक्रम में 'व्यवस्थित दुरुपयोग' को रोकने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। पहले, H-1B वीजा पर प्रशासनिक शुल्क केवल 1,500 अमेरिकी डॉलर था। ट्रंप का कहना है कि विदेशी श्रमिकों का लाभ उठाकर अमेरिकी श्रमिकों को कम वेतन पर काम पर रखना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन चुका है।
उपभोक्ताओं और कंपनियों पर प्रभाव
उपभोक्ता, कंपनियों और श्रमिकों पर प्रभाव
H-1B वीजा कार्यक्रम का उद्देश्य अमेरिकी उद्योगों में उच्च-कौशल श्रमिकों को लाना था, लेकिन इसने अमेरिकी श्रमिकों की जगह लेने का काम किया है। भारत और अन्य देशों के पेशेवरों के लिए यह एक बड़ा संकट बन सकता है, क्योंकि 2022-2023 में जारी 4 लाख H-1B वीजा में से 72% भारतीयों को मिले थे। वीजा शुल्क में अचानक वृद्धि से कंपनियों को अपने व्यापार मॉडल को फिर से समायोजित करना पड़ेगा, और भारतीय आईटी श्रमिकों को इसके प्रभाव का सामना करना पड़ेगा।
21 सितंबर से पहले लौटने की सलाह
21 सितंबर से पहले लौट आएं
Amazon, Microsoft और JP Morgan जैसी प्रमुख कंपनियों ने H-1B वीजा धारकों से कहा है कि वे देश छोड़ने से बचें। Amazon ने अपने कर्मचारियों से कहा कि वे 21 सितंबर से पहले अमेरिका लौट आएं, जब नया शुल्क लागू होगा। Microsoft और JP Morgan ने भी स्पष्ट किया कि वे H-1B और H-4 वीजा धारकों से यात्रा न करने की अपील कर रहे हैं और स्थिति को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी होने तक वे देश में बने रहें।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और आलोचना
राजनीतिक प्रतिक्रिया और आलोचना
डेमोक्रेट पार्टी के नेता राजा कृष्णमूर्ति ने ट्रंप के इस आदेश को 'हाई-स्किल्ड वर्कर्स को काटने का एक बेवकूफाना प्रयास' बताया है, जो लंबे समय से अमेरिकी श्रमिकों की मदद कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस आदेश से अमेरिका की नवाचार क्षमता और विकास में बाधा उत्पन्न होगी, क्योंकि ये श्रमिक उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
आगे की संभावनाएं
आगे क्या होगा?
नई शुल्क नीति के प्रभाव से अमेरिकी अर्थव्यवस्था और कामकाजी समुदाय पर क्या असर पड़ेगा, यह देखना बाकी है। यह कदम विशेष रूप से भारतीय पेशेवरों के लिए चिंता का विषय बन गया है, जो अमेरिकी उद्योगों में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।