H-1B वीजा से B-1 वीजा में बदलाव: एक भारतीय उद्यमी की प्रेरणादायक कहानी
H-1B वीजा बनाम B-1 वीजा: एक उद्यमी का अनुभव
H-1B वीजा बनाम B-1 वीजा: एक भारतीय उद्यमी की कहानी सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रही है। उन्होंने साझा किया कि कैसे H-1B वीजा से B-1 वीजा में परिवर्तन करने के बाद उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव आया। अनिरुद्ध नामक इस उद्यमी ने कहा कि यह निर्णय उनके करियर का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जिसने उन्हें फिर से नियंत्रण और उत्साह प्रदान किया।
इंस्टाग्राम पर साझा किए गए एक वीडियो में अनिरुद्ध ने कहा, "यह एक वास्तविक कहानी है। मैं नौ वर्षों तक H-1B वीजा पर था और फिर B-1 वीजा पर स्विच किया, और तभी मेरी जिंदगी पूरी तरह बदल गई।" अनिरुद्ध की इस कहानी को ऑनलाइन काफी सराहा जा रहा है। कई पेशेवरों ने इसे सिस्टम की सीमाओं से बाहर निकलकर आत्मनिर्भरता प्राप्त करने का एक उदाहरण बताया है।
H-1B वीजा पर जीवन कैसा था?
अनिरुद्ध ने दोनों वीजा के अनुभवों की तुलना करते हुए कहा, "मेरी H-1B वीजा पर जिंदगी ऐसी थी कि मैं अपना खुद का व्यवसाय नहीं चला सकता था, साल में केवल एक बार भारत आ सकता था, हर तीन साल में वीजा का नवीनीकरण करना पड़ता था, सरकारी नीतियों की अनिश्चितता और कॉर्पोरेट सिस्टम में फंसा हुआ महसूस करता था। यह जीवन एकदम नीरस था, जैसे मैं किसी गुलामी में जी रहा हूं।"
B-1 वीजा के बाद का जीवन
उन्होंने आगे बताया कि B-1 वीजा पर आने के बाद उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आए। उन्होंने कहा, "अब मैं अपना खुद का LLC कानूनी रूप से चला रहा हूं, साल में दो बार अमेरिका जा सकता हूं, वीजा 10 साल के लिए वैध है, नीतियों में बदलाव की कोई चिंता नहीं, और उद्यमिता का पूरा आनंद ले रहा हूं। अब मेरी जिंदगी मेरे नियंत्रण में है और हर दिन रोमांचक लगता है।"
दूसरों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा, "मैंने बस एक कदम उठाया और निर्णय लिया। जल्द ही मैं बताऊंगा कि मैंने यह कैसे किया, अपडेट्स के लिए मुझे फॉलो करें।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह अब पूरी तरह से भारत में रहते हैं और केवल कॉन्फ्रेंस के लिए अमेरिका की यात्रा करते हैं।
H-1B वीजा पर ट्रंप की नई नीति से बढ़ी चिंता
अनिरुद्ध का यह वीडियो उस समय वायरल हुआ जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। उन्होंने एक आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत हर नए H-1B वीजा आवेदन पर कंपनियों को $100,000 (लगभग ₹88 लाख) की एकमुश्त फीस देनी होगी।
यह आदेश भारतीय पेशेवरों में चिंता का कारण बना है, क्योंकि अमेरिका के टेक सेक्टर में जाने वाले लगभग 70 प्रतिशत लोग भारत से होते हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय भारतीय प्रतिभा को अमेरिकी टेक इंडस्ट्री से दूर रखने का एक अप्रत्यक्ष प्रयास है।