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IIM रोहतक छात्रा का परीक्षा परिणाम: हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश

हरियाणा के IIM रोहतक में एक MBA छात्रा को अपने परीक्षा परिणाम का चार साल तक इंतजार करना पड़ा। इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए संस्थान को 10 दिनों के भीतर परिणाम घोषित करने का आदेश दिया है। अदालत ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए छात्रा को मुआवजा देने का भी निर्देश दिया। यह मामला शिक्षा संस्थानों की जवाबदेही पर भी सवाल उठाता है।
 

IIM रोहतक छात्रा का मामला

IIM रोहतक छात्रा का मामला: हरियाणा के रोहतक में स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) की एक MBA छात्रा को अपने अंतिम परीक्षा परिणाम का इंतजार चार साल तक करना पड़ा। यह मामला केवल एक छात्रा के करियर का नहीं, बल्कि शिक्षा संस्थानों की जवाबदेही पर भी गंभीर सवाल उठाता है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए संस्थान को 10 दिनों के भीतर परिणाम घोषित करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि छात्रा का चार साल तक परिणाम रोकना उसके भविष्य के साथ खिलवाड़ है.


अदालत की सुनवाई और निर्णय

जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि IIM ने पूर्व आदेशों का केवल आंशिक पालन किया है। अदालत ने यह भी बताया कि संस्थान ने दो लाख रुपये के मुआवजे में से केवल 30 हजार रुपये दिए हैं, जबकि शेष राशि और छात्रा का परिणाम अभी तक जारी नहीं किया गया। इसे गंभीर लापरवाही और न्याय में बाधा माना गया है.


यौन उत्पीड़न का विवाद

यह विवाद 2018-20 बैच की एक छात्रा से संबंधित है। फरवरी 2020 में छात्रा ने कुछ अधिकारियों और एक छात्र पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। हालांकि, IIM की आंतरिक शिकायत समिति ने आरोपों को निराधार मानते हुए छात्रा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी। जून 2020 में संस्थान ने छात्रा को अंतिम तिमाही दोहराने और माफी मांगने का आदेश दिया.


हाईकोर्ट का निर्णय

छात्रा ने इस कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी। जुलाई 2024 में अदालत ने पाया कि संस्थान ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन किया और बिना नोटिस के कठोर दंड सुनाया। कोर्ट ने अनुशासनात्मक कार्रवाई को रद्द कर छात्रा को दो लाख रुपये मुआवजा देने और उसका रिजल्ट घोषित करने का आदेश दिया.


IIM की दलील और अदालत का रुख

IIM रोहतक ने अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि हैंडबुक में किए गए संशोधन के आधार पर कार्रवाई की गई थी। लेकिन अगस्त 2024 में खंडपीठ ने संस्थान की अपील को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि बाद में बनाए गए नियमों को पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं किया जा सकता। सुनवाई के दौरान IIM की ओर से पेश अधिवक्ता ने आश्वासन दिया कि छात्रा का रिजल्ट 13 सितंबर 2025 तक घोषित कर दिया जाएगा.


अदालत की टिप्पणी

हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले को गंभीर अन्याय बताते हुए कहा कि चार वर्षों तक छात्रा का करियर रोकना न केवल व्यक्तिगत स्तर पर नुकसान है, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर भी चोट है। अदालत ने स्पष्ट किया कि छात्रा को मौद्रिक मुआवजा मिलना चाहिए और उसका भविष्य सुरक्षित किया जाना चाहिए.