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IndiGo की उड़ानें रद्द: क्या है संकट की असली वजह?

IndiGo एयरलाइन का परिचालन संकट छठे दिन भी जारी है, जिसमें 650 उड़ानें रद्द की गईं। यात्रियों को 610 करोड़ रुपये का रिफंड दिया गया है और 3000 से अधिक बैग लौटाए गए हैं। CEO पीटर एल्बर्स ने कहा कि स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है, लेकिन नए नियमों और स्टाफिंग की कमी ने संकट को बढ़ा दिया है। जानें इस संकट की जड़ें और एयरलाइन की सुधार की कोशिशें।
 

IndiGo का परिचालन संकट जारी


नई दिल्ली : देश की प्रमुख एयरलाइन IndiGo का परिचालन संकट आज छठे दिन भी जारी है। रविवार को, कंपनी ने 650 उड़ानें रद्द कीं, जबकि निर्धारित 2300 घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में से केवल 1650 उड़ानें ही संचालित हो सकीं। यात्रियों की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए, नागर विमानन मंत्रालय ने बताया कि अब तक यात्रियों को लगभग 610 करोड़ रुपये का रिफंड दिया जा चुका है। इसके अलावा, कंपनी ने संकट के दौरान संभालकर रखे गए 3000 से अधिक बैग भी यात्रियों को वापस लौटा दिए हैं।


सामान्य स्थिति की ओर बढ़ने की कोशिश

धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रही एयरलाइन
IndiGo के CEO पीटर एल्बर्स ने कहा है कि एयरलाइन धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर लौट रही है। उन्होंने बताया कि उड़ानों को पहले चरण में रद्द किया जा रहा है ताकि यात्रियों को हवाई अड्डे पर जाकर परेशानी का सामना न करना पड़े। शुक्रवार को, कंपनी ने 1000 से अधिक उड़ानें रद्द की थीं और शनिवार को भी 800 से ज्यादा उड़ानें नहीं उड़ सकीं। इन लगातार रद्दीकरणों ने यात्रियों की यात्रा योजनाओं को गंभीर रूप से प्रभावित किया है और एयरलाइन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।


संकट की जड़ें और स्टाफिंग की समस्याएं

संकट की जड़, नए नियम और स्टाफिंग मॉडल की खामियां
IndiGo के इस बड़े संकट की शुरुआत डीजीसीए द्वारा फ्लाई ड्यूटी टाइम लिमिट (FDTL) नियमों में बदलाव से हुई। नए नियमों के तहत, पायलटों के लिए साप्ताहिक विश्राम समय 36 घंटे से बढ़ाकर 48 घंटे कर दिया गया और रात में उड़ानों की अधिकतम संख्या घटाकर दो कर दी गई। इससे पायलटों की उपलब्धता में कमी आई और एक पायलट द्वारा संचालित की जा सकने वाली उड़ानों की संख्या सीमित हो गई।


कम कर्मचारी रखकर लागत घटाने की कोशिश
IndiGo पहले से ही अपने स्टाफिंग मॉडल, जिसे "लीन-स्टाफिंग" कहा जाता है, पर निर्भर थी, जिसमें आवश्यकता से कम कर्मचारी रखकर लागत को कम करने का प्रयास किया जाता है। एयरलाइन को अपने एयरबस A320 बेड़े को चलाने के लिए 2,422 कैप्टन की आवश्यकता थी, लेकिन उसके पास केवल 2,357 कैप्टन उपलब्ध थे। फर्स्ट ऑफिसर्स की संख्या भी कम थी, जिससे अचानक बढ़ी आवश्यकताओं को पूरा करना मुश्किल हो गया। नए नियमों और स्टाफ की कमी ने मिलकर दैनिक उड़ानों की योजना को व्यापक रूप से बाधित कर दिया।


उड़ानों को नियमित रखने की कोशिश

उड़ानों को नियमित रखने की कोशिश जारी
IndiGo संकट को कम करने के लिए रद्द उड़ानों की पहले से सूचना दे रही है, क्रू-मैनेजमेंट सिस्टम में बदलाव कर रही है और शेड्यूल को पुनर्गठित कर रही है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक पर्याप्त पायलटों की नियुक्ति नहीं की जाती और "लीन-स्टाफिंग" मॉडल में सुधार नहीं किया जाता, तब तक स्थिति पूरी तरह सामान्य होने में समय लगेगा। एयरलाइन अब भी अपनी अधिकांश उड़ानों को नियमित रखने का प्रयास कर रही है, लेकिन वर्तमान संकट ने भारतीय एविएशन सेक्टर में पायलट उपलब्धता और नियामकीय नियमों के संतुलन पर गंभीर बहस को जन्म दिया है।