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काशी-तमिल संगमम काशी और तमिलनाडु के बीच विशेष सदियों पुराने जुड़ाव का उत्सव: एस. जयशंकर

 


-विदेश मंत्री ने पचास देशों के राजदूत और डिप्लोमेट्स के साथ संगमम में लिया भाग

-तमिल प्रतिनिधियों और विदेशी राजनयिकों के साथ किया संवाद

वाराणसी, 23 फरवरी (हि.स.)। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि काशी-तमिल संगमम काशी और तमिलनाडु के बीच विशेष सदियों पुराने जुड़ाव का उत्सव है। प्राचीन नगरी काशी दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है। पूरे भारत के लिए काशी एक तरह से सांस्कृतिक मैग्नेट की तरह है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काशी-तमिल संगमम आयोजित करने का जब फैसला किया था, तो इसका उद्देश्य यह था कि भारत संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं का संगम बने। विदेश मंत्री रविवार को काशी तमिल संगमम के तीसरे संस्करण में तमिलनाडु से आए प्रतिनिधियों और विदेशी राजनयिकों के साथ संवाद कर रहे थे।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के ओंकार नाथ ठाकुर सभागार में ’परंपरा, प्रौद्योगिकी और विश्व, विषय पर आयोजित अकादमिक सत्र में विदेश मंत्री ने तमिल भाषा में वणक्कम काशी कहकर प्रतिनिधियों का स्वागत किया। काशी की प्राचीनता और आध्यात्मिकता का जिक्र कर विदेश मंत्री ने कहा कि देश की आध्यात्मिक राजधानी वाराणसी में विदेशी राजदूतों के साथ जुड़कर, संगमम में भाग लेते हुए प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर बेहद प्रसन्नता हो रही है । विदेश मंत्री ने तमिलनाडु और काशी के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंधों का भी उल्लेख किया। कहा कि काशी तमिल संगमम में तमिलनाडु से बड़ी संख्या में प्रतिनिधि आए हैं। तमिल महाकवि सुब्रमण्यम भारती का उल्लेख कर विदेशमंत्री ने कहा कि भारती जी काशी में रहते थे और उनकी बहुत सी रचनाएं काशी में ही हुई थीं। विदेश मंत्री ने काशी तमिल संगमम की थीम ऋृषि अगस्त्य का उल्लेख कर बताया कि वे भारत के सात बड़े ऋषियों में से एक थे। तमिल व्याकरण वास्तव में मुनि अगस्त्य की ओर से रचित था और उन्हें चिकित्सा के स्कूल- सिद्धि की स्थापना का श्रेय भी जाता है। गौरतलब हो कि काशी तमिल संगमम के इस अकादमिक सत्र में 45 देशों के राजदूत और डिप्लोमेट्स ने भी भाग लिया।

विदेश मंत्री आईआईटी बीएचयू के छात्रों से भी करेंगे संवाद

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर आईआईटी बीएचयू के विभिन्न विभागों और अनुसंधान प्रयोगशालाओं का दौरा करेंगे। इस दौरान वह छात्रों, संकाय सदस्यों और शोधकर्ताओं से बातचीत कर भारत की विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रगति पर चर्चा करेंगे। संवाद के दौरान विदेश मंत्री छात्रों को विदेश नीति से अवगत करा नए शोध और अनुसंधान के लिए प्रेरित भी करेंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी