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Kishtwar में बादल फटने से मची तबाही: 40 लोगों की मौत, 200 लापता

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चशोटी गांव में बादल फटने से भयानक तबाही मच गई है। इस घटना में लगभग 40 लोगों की मौत हो गई है और 200 लोग लापता हैं। हजारों श्रद्धालु मचैल माता यात्रा में शामिल होने के लिए वहां मौजूद थे। तेज बहाव ने मंदिर के बाहर लंगर के टेंट और सड़कें बहा दीं। प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है, लेकिन रेस्क्यू ऑपरेशन में कई चुनौतियाँ सामने आ रही हैं। जानें इस घटना के बारे में और क्या हो रहा है।
 

Kishtwar में भयानक प्राकृतिक आपदा

Kishtwar Flash Flood: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के पाडर क्षेत्र में चशोटी गांव में गुरुवार को बादल फटने से गंभीर तबाही हुई। इस आपदा के समय हजारों श्रद्धालु मचैल माता यात्रा में शामिल होने के लिए वहां उपस्थित थे। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, लगभग 40 लोगों की जान गई है और करीब 200 लोग लापता हैं। तेज बहाव ने मंदिर के बाहर लंगर के लिए लगाए गए टेंट, सड़कें और नदी किनारे खड़े वाहन बहा दिए। स्थानीय विधायक सुनील शर्मा ने बताया कि मौके पर एक हजार से अधिक श्रद्धालु मौजूद थे और कम से कम 12 लोगों के मारे जाने की आशंका है, हालांकि आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है।


तेज बहाव में बह गए टेंट और सड़कें

टेंट और सड़कें तेज बहाव में बह गए

मचैल माता यात्रा के पहले पड़ाव पर अचानक बादल फट गया। मंदिर के बाहर लगे कई लंगर टेंट पानी में बह गए और पूरी सड़क बहाव में गायब हो गई। तेज बारिश और मलबे में कई लोग फंस गए, जबकि वाहनों के साथ उनका सामान भी बह गया।


केंद्रीय मंत्री और नेताओं की प्रतिक्रिया

केंद्रीय मंत्री और नेताओं की प्रतिक्रिया

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने किश्तवाड़ के डिप्टी कमिश्नर पंकज कुमार शर्मा से बात कर तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रशासन अलर्ट पर है, रेस्क्यू और मेडिकल टीमों को घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि यह एक बड़ा गांव है जहां बड़ी संख्या में लोग और श्रद्धालु मौजूद थे, जिससे तबाही का पैमाना और बढ़ गया।


रेस्क्यू ऑपरेशन में मुश्किलें

रेस्क्यू ऑपरेशन में मुश्किलें

बादल फटने के बाद गांव का आधे से ज्यादा हिस्सा पानी और मलबे में दब गया। सड़कों के बुरी तरह क्षतिग्रस्त होने से रेस्क्यू टीमों के लिए वहां तक पहुंचना चुनौतीपूर्ण हो गया है। प्रशासन ने सेना की डेल्टा फोर्स, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर भेज दी हैं, ताकि जल्द से जल्द फंसे लोगों तक मदद पहुंचाई जा सके। पिछले 15 दिनों से पुंछ, राजौरी और डोडा सहित कई पहाड़ी जिलों में लगातार मूसलाधार बारिश हो रही थी। मचैल माता मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर भी इस वजह से कई जगहों पर खतरा बढ़ गया था।


मचैल माता मंदिर और यात्रा का महत्व

मचैल माता मंदिर और यात्रा का महत्व

मचैल माता मंदिर किश्तवाड़ के पाडर उपखंड में समुद्र तल से 9,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां माता चंडी की पिंडी रूप में पूजा होती है। हर साल सावन महीने में हजारों श्रद्धालु कठिन 30-35 किलोमीटर के ट्रैक को पैदल या घोड़े से पार कर मंदिर तक पहुंचते हैं। यह यात्रा धार्मिक आस्था और साहस का प्रतीक मानी जाती है।