Maharashtra में MNS कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी: मराठी भाषा विवाद पर प्रदर्शन
MNS कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी
MNS कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी: 8 जुलाई, 2025 को मराठी भाषा के मुद्दे पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और अन्य मराठी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसे प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। इस कारण मनसे के नेताओं को पहले हिरासत में लिया गया और फिर प्रदर्शनकारियों को भी रोका गया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस पर बयान देते हुए कहा कि ये लोग जानबूझकर ऐसे रास्ते चुन रहे थे जिससे अराजकता फैल सके।
विवाद का कारण
क्या है पूरा मामला?
मनसे नेता संदीप देशपांडे ने कहा कि उनके नेताओं को सुबह 3:30 बजे हिरासत में लिया गया, जिसे उन्होंने आपातकाल जैसी स्थिति बताया। उन्होंने यह भी कहा कि गुजराती व्यापारियों के विरोध मार्च को पुलिस ने अनुमति दी, जबकि मराठी लोगों के मार्च को रोका गया। उन्होंने सवाल उठाया कि यह महाराष्ट्र की सरकार है या गुजरात की? उन्होंने कहा कि वे किसी भी हाल में मार्च करेंगे।
मुख्यमंत्री का बयान
सीएम देवेंद्र फडणवीस ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मनसे कार्यकर्ताओं ने अनुमति प्राप्त मार्ग का पालन नहीं किया। उन्होंने कहा, "यह कहना गलत होगा कि हमने विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी। मैंने कमिश्नर से बात की है, जिन्होंने बताया कि पुलिस ने विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने से इनकार नहीं किया। उन्होंने एक बैठक के लिए अनुमति मांगी थी, लेकिन वैकल्पिक मार्ग लेने के लिए सहमत नहीं हुए।"
घटना का विवरण
इस वजह से हुआ था विवाद
इस महीने की शुरुआत में भायंदर में एक फूड स्टॉल मालिक को मराठी में बात न करने पर मनसे कार्यकर्ताओं ने थप्पड़ मारा था। इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद व्यापारी समुदाय में आक्रोश फैल गया। मनसे के सात सदस्यों को हिरासत में लिया गया, लेकिन बाद में उन्हें बिना सजा के छोड़ दिया गया।
व्यापारियों का विरोध
सुशील केडिया के दफ्तर में हुई थी तोड़फोड़
भायंदर के व्यापारियों ने मनसे कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। यह घटना तब हुई जब मनसे कार्यकर्ताओं ने मुंबई में उद्यमी सुशील केडिया के कार्यालय में तोड़फोड़ की, जब उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया कि वे 30 साल से मुंबई में रहने के बावजूद धाराप्रवाह मराठी नहीं बोल पाते हैं।