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जबलपुर पहुंचे भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री, बोले- पराली जलाने से अच्छी होती है फसल, कीड़े मरते हैं

 


-मप्र हाइकोर्ट बार एसोसिएशन के आदेश को किसानों के खिलाफ बताया साजिश

जबलपुर/भोपाल, 26 नवंबर (हि.स.)। भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र मंगलवार को जबलपुर पहुंचे। यहां उन्होंने पराली जलाने को लेकर जिला प्रशासन और मप्र हाइकोर्ट बार एसोसिएशन के आदेश के खिलाफ पलटवार किया। उन्होंने आदेशों को किसानों के खिलाफ साजिश बताया और कहा कि पराली जलाने से खेत की उर्वरक क्षमता कम नहीं होती है, बल्कि इससे कीड़े-मकोड़े नष्ट हो जाते हैं। किसानों को अच्छी फसल मिलती है।

दरअसल, हाल ही में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने पराली जलाने के आरोपी किसानों का केस नहीं लड़ने का प्रस्ताव पारित किया है। जिला प्रशासन ने भी जबलपुर में पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ मामला दर्ज करने के निर्देश जारी किए हैं।

जबलपुर पहुंचे भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री मिश्र ने यहां मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जिला प्रशासन और वकीलों ने निर्णय जल्दबाजी में लिए हैं। किसानों के खिलाफ यह एक तरह की साजिश है, क्योंकि पराली जलाने से जितना प्रदूषण नहीं होता, उससे 240 गुना ज्यादा वायु प्रदूषण थर्मल पावर प्लांट से होता है। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा प्रदूषण उद्योगों और वाहनों से होता है। खेतों में पराली जलाने से महज सात प्रतिशत प्रदूषण होता है जो कुछ ही समय में छंट जाता है।

उन्होंने सवाल किया कि क्या जिला प्रशासन और हाइकोर्ट बार एसोसिएशन उद्योगों के खिलाफ भी ऐसे ही आदेश जारी करेगा? उन्होंने कहा कि कई सालों से कृषि वैज्ञानिक पराली जलाने की सलाह देते रहे हैं। किसानों को बताया गया कि पराली जलाने से खेत का कचरा और फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीट मर जाते हैं, जिससे अगली फसल बहुत बेहतर होती है। किसानों को केमिकल वाली खाद उपयोग करने के लिए प्रेरित किया गया और अब जैविक खेती करने की सलाह दी जा रही है। भारतीय किसान संघ ने जल्द ही इस मुद्दे पर आंदोलन करने की चेतावनी दी है।

भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री ने कहा कि 'पराली जलाने को लेकर स्वामी रंगनाथन की रिपोर्ट में स्पष्ट है कि किसानों को पराली जलाने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। आज जितना प्रदूषण पराली जलने से हो रहा है, उससे ज्यादा इंडस्ट्रीज और कारखानों से निकलने वाले धुएं से होता है। उन्होंने कहा कि थर्मल पावर प्लांट से किसानों को बिजली की जगह कोल डस्ट मिल रही है। डस्ट की वजह से किसानों के खेत बंजर हो रहे हैं। सिंगरौली का थर्मल पावर प्लांट, कटनी का माइंस एरिया घंसौर, सिवनी के पावर प्लांट इसके प्रमाण हैं।

किसान नेता मिश्र का यह बयान तब आया है, जब 19 दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र सरकार ने भी पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना दोगुना कर दिया है। पर्यावरण मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर इसकी जानकारी दी थी। अब दो एकड़ से कम जमीन पर 5000 रुपये का जुर्माना लगेगा। 2 से 5 एकड़ तक 10,000 रुपए और 5 एकड़ से ज्यादा जमीन वालों से 30,000 रुपए जुर्माना वसूला जाएगा। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली सरकार इन नियमों को लागू करने के लिए बाध्य होंगी।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर