×

Nimisha Priya Case: यमन में फंसी भारतीय नर्स की दर्दनाक कहानी

Nimisha Priya, एक 36 वर्षीय नर्स, यमन में एक भयावह घटना की शिकार बनीं, जिसने उनके जीवन को बदल दिया। 2017 में यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। उनकी कहानी न केवल व्यक्तिगत संघर्ष को दर्शाती है, बल्कि विदेशों में काम करने वाली भारतीय महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों को भी उजागर करती है। जैसे-जैसे उनकी फांसी की तारीख नजदीक आ रही है, उनके परिवार की उम्मीदें भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर टिकी हैं।
 

Nimisha Priya का यमन में संघर्ष

Nimisha Priya Case: केरल की 36 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया एक ऐसी घटना की शिकार बनीं, जिसने उनके जीवन को पूरी तरह बदल दिया। 2017 में यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई, और अब उनकी फांसी की तारीख 16 जुलाई 2025 निर्धारित की गई है। यह कहानी एक ऐसी महिला की है, जो बेहतर भविष्य की तलाश में यमन गई थी, लेकिन धोखे और अत्याचार के जाल में फंस गई। निमिषा प्रिया की यह दुखद कहानी न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष को उजागर करती है, बल्कि विदेशों में काम करने वाली भारतीय महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों को भी दर्शाती है। तलाल अब्दो महदी के साथ उनकी साझेदारी, जो एक सामान्य व्यावसायिक रिश्ते से शुरू हुई, जल्द ही एक भयावह स्थिति में बदल गई।


निमिषा प्रिया का यमन में सपनों का पीछा

निमिषा प्रिया, जो केरल के पलक्कड़ जिले से हैं, 2008 में बेहतर रोजगार की तलाश में यमन की राजधानी सना पहुंचीं। नर्सिंग के साथ-साथ, उन्होंने 2015 में एक मेडिकल क्लिनिक खोलने का सपना देखा। यमन में विदेशी व्यवसायों के लिए स्थानीय साझेदार की आवश्यकता होती है, और यहीं उनकी मुलाकात तलाल अब्दो महदी से हुई। शुरुआत में यह एक सामान्य व्यावसायिक संबंध था, लेकिन जल्द ही तलाल ने निमिषा के जीवन में घुसपैठ करना शुरू कर दिया।


तलाल का धोखा और शारीरिक-मानसिक शोषण

निमिषा का कहना है कि तलाल ने फर्जी दस्तावेज बनाकर दावा किया कि वह उनका पति है। "उसने मेरे पासपोर्ट को जब्त कर लिया और मेरे क्लिनिक से पैसे वसूलने लगा," निमिषा ने बताया। तलाल ने न केवल उनका शारीरिक और मानसिक शोषण किया, बल्कि उन्हें अपने दोस्तों के साथ संबंध बनाने के लिए भी मजबूर किया। "वह मुझे रात में अपने दोस्तों के साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर करता था," निमिषा ने कोर्ट में खुलासा किया। इस उत्पीड़न ने उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से तोड़ दिया।


हत्या का आरोप और कानूनी जंग

2017 में तलाल अब्दो महदी की हत्या के बाद निमिषा को गिरफ्तार किया गया। उनका कहना है कि उनका इरादा तलाल को मारने का नहीं था। "मैं केवल उसे बेहोश करना चाहती थी ताकि अपना पासपोर्ट वापस ले सकूं," उन्होंने कोर्ट में कहा। लेकिन यमन की अदालत ने उन्हें हत्या और शव को टुकड़ों में काटने का दोषी ठहराया। 2018 में निचली अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई, जिसे 2020 में यमन की सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा।


भारत सरकार की भूमिका

भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर नजर रखने की बात कही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। निमिषा के परिवार और समर्थक भारत सरकार से हस्तक्षेप की गुहार लगा रहे हैं। "भारत सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए और निमिषा के बचाव के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।"


निमिषा प्रिया की कहानी केवल एक व्यक्तिगत घटना नहीं है, बल्कि यह उन चुनौतियों का प्रतीक है, जो विदेशों में काम करने वाले भारतीयों, विशेषकर महिलाओं, को झेलनी पड़ती हैं। जैसे-जैसे 16 जुलाई 2025 की तारीख नजदीक आ रही है, निमिषा और उनके परिवार की उम्मीदें अब भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर टिकी हैं।