PM मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच ऐतिहासिक वार्ता: भारत की शांति की नीति पर जोर
दिल्ली में मोदी-पुतिन की महत्वपूर्ण बैठक
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच द्विपक्षीय शिखर वार्ता दिल्ली के हैदराबाद हाउस में शुरू हो चुकी है। इससे पहले, पुतिन का औपचारिक स्वागत राष्ट्रपति भवन में किया गया, जहां उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके बाद, पुतिन ने राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। यह यात्रा चार साल के लंबे अंतराल के बाद हो रही है, जिससे इसका राजनयिक महत्व और बढ़ गया है।
भारत की शांति की नीति पर मोदी का बयान
भारत हमेशा शांति का समर्थक है
इस वार्ता के दौरान, पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत रूस-यूक्रेन युद्ध में तटस्थ नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा शांति का पक्षधर रहा है और संघर्ष का समाधान संवाद और कूटनीति से ही संभव है। मोदी ने बताया कि उन्होंने कई वैश्विक नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की है और उनका रुख युद्ध के बजाय शांति की ओर है। पुतिन ने भी इस पर सहमति जताई और कहा कि रूस भी शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में काम कर रहा है।
मोदी और पुतिन की दोस्ती का जश्न
मोदी-पुतिन की दोस्ती के 25 वर्ष
पीएम मोदी ने इस मुलाकात को विशेष बताते हुए कहा कि पुतिन की पहली यात्रा 2001 में हुई थी, जब दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी की नींव रखी गई थी। उन्होंने कहा कि पिछले 25 वर्षों में उनके और पुतिन के बीच व्यक्तिगत संबंध मजबूत हुए हैं, जो दोनों देशों के रिश्तों को नई ऊंचाइयों पर ले जाता है। मोदी ने पुतिन के नेतृत्व को एक दूरदर्शी नेता का उदाहरण बताया।
भारत-रूस आर्थिक संबंधों की मजबूती
रूस, भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर
भारत और रूस के बीच आर्थिक सहयोग वर्षों से स्थिर रहा है, लेकिन यूक्रेन संकट के बाद यह और गहरा हुआ है। रूस अब भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर बन चुका है। अमेरिका ने इस मुद्दे पर भारत को निशाना बनाया है, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया है कि उसकी प्राथमिकता अपने नागरिकों के हितों और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना है। इस शिखर वार्ता में व्यापार, सुरक्षा, रक्षा उत्पादन और ऊर्जा सहयोग पर कई समझौतों की उम्मीद है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच महत्वपूर्ण वार्ता
अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच अहम वार्ता
यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लागू किया है और जी7 देशों से अपील की है कि वे रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर कार्रवाई करें। इस संदर्भ में मोदी-पुतिन की मुलाकात न केवल दोनों देशों के बीच साझेदारी को मजबूत करने का कदम है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भारत की स्वतंत्र कूटनीतिक नीति का भी संकेत देती है।