PM मोदी ने 'मन की बात' में लता मंगेशकर और जुबीन गर्ग को किया याद
प्रधानमंत्री मोदी का संगीतकारों को श्रद्धांजलि
PM Modi Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 'मन की बात' के 126वें एपिसोड में भारत के दो महान संगीतकारों को याद करते हुए उनके योगदान को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि ये दोनों हस्तियां भारतीय संगीत के स्तंभ थीं और उन्होंने देश की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाई दी।
कार्यक्रम की शुरुआत में पीएम मोदी ने स्वर कोकिला लता मंगेशकर को याद किया और उनकी जन्म जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके साथ ही, उन्होंने असमिया गायक जुबीन गर्ग के योगदान का भी स्मरण किया। पीएम मोदी ने कहा कि इन दोनों कलाकारों ने भारतीय संगीत जगत को समृद्ध करने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई।
लता मंगेशकर का योगदान
लता मंगेशकर:
प्रधानमंत्री ने कहा कि लता दीदी की आवाज पीढ़ियों से भारतीय सिनेमा की पहचान रही है। उनके गीत सीमाओं को पार कर पूरी दुनिया में गूंजे और अनगिनत संगीतप्रेमियों को प्रेरित किया। उन्होंने ये भी कहा कि लता मंगेशकर ने न केवल भारतीय फिल्मों को अमर धुनें दीं, बल्कि भारतीय संस्कृति को वैश्विक मंच पर भी पहचान दिलाई।
जुबीन गर्ग की सांस्कृतिक पहचान
जुबीन गर्ग:
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में दिवंगत असमिया गायक जुबीन गर्ग को भी याद किया। उन्होंने कहा कि जुबीन गर्ग एक सांस्कृतिक प्रतीक थे, जिन्होंने असमिया संगीत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। उनकी बहुमुखी प्रतिभा और संगीत से जुड़ाव हर उम्र और क्षेत्र के लोगों को आकर्षित करता था। पीएम मोदी ने आगे कहा कि जुबीन गर्ग के गीत असम की मिट्टी और संस्कृति से गहराई से जुड़े थे, जिसने भारत की विविधता को और समृद्ध किया।
कलाकारों की विरासत को संजोने का आह्वान
कलाकारों की विरासत को संजोने का आह्वान
प्रधानमंत्री मोदी ने श्रोताओं से आग्रह किया कि वे उन कलाकारों की स्मृतियों को संजोएं, जिन्होंने भारत की सांस्कृतिक धरोहर को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उन्होंने कहा कि संगीतकारों, गायकों और रचनाकारों के योगदान को याद रखना और आगे बढ़ाना हर नागरिक का कर्तव्य है।
रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के माध्यम से प्रधानमंत्री न केवल सामाजिक और विकासात्मक मुद्दों पर बात करते हैं, बल्कि साहित्य, संगीत, खेल और जनसेवा में योगदान देने वाले लोगों को भी सम्मानित करते हैं। यह मंच शिक्षा, तकनीक, स्वास्थ्य और पर्यावरण जागरूकता जैसे विषयों पर संवाद का एक महत्वपूर्ण जरिया बन चुका है।