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RBI का नया नियम: चेक क्लियरेंस अब होगा सिर्फ तीन घंटे में!

भारतीय रिज़र्व बैंक ने चेक क्लियरेंस प्रक्रिया में सुधार के लिए नए नियमों की घोषणा की है। अक्टूबर 2025 से चेक की प्रक्रिया एक दिन में पूरी होगी, जबकि जनवरी 2026 से चेक की स्थिति तीन घंटे में स्पष्ट होगी। यह बदलाव न केवल समय की बचत करेगा, बल्कि प्रक्रिया को भी अधिक पारदर्शी बनाएगा। जानें कैसे ये नए नियम चेक के उपयोग को प्रभावित करेंगे और लाभार्थियों को राशि कितनी जल्दी मिलेगी।
 

चेक क्लियरेंस प्रक्रिया में बदलाव

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने चेक क्लियरेंस की प्रक्रिया को और अधिक तेज़ और आधुनिक बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। वर्तमान में, चेक के पास होने में एक से दो कार्यदिवस (T+1 या T+2) लगते हैं, लेकिन अक्टूबर 2025 से यह प्रक्रिया केवल एक दिन में पूरी हो जाएगी। इसके बाद, जनवरी 2026 से नए नियम के तहत, चेक की स्थिति केवल तीन घंटे में स्पष्ट हो जाएगी।


वर्तमान स्थिति की समीक्षा

वर्तमान में, चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) के तहत चेकों को बैच मोड में प्रोसेस किया जाता है। इसका अर्थ है कि जब ग्राहक चेक जमा करता है, तो उसका निपटान अगले दिन या अधिकतम दो दिन बाद होता है। इस देरी के कारण कई बार भुगतान पाने वालों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है।


नए नियम का कार्यान्वयन

3 जनवरी 2026 से, बैंकों को हर चेक पर तीन घंटे के भीतर स्थिति स्पष्ट करनी होगी। उदाहरण के लिए, यदि कोई ग्राहक सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच चेक जमा करता है, तो बैंक को अधिकतम 3 बजे तक यह बताना होगा कि चेक पास हुआ है या नहीं। यदि बैंक समय पर जानकारी नहीं देता है, तो चेक को स्वतः पास मान लिया जाएगा।


लाभार्थी को राशि की त्वरित प्राप्ति

नई व्यवस्था के लागू होने के बाद, जैसे ही चेक का क्लियरेंस होगा, लाभार्थी के खाते में राशि एक घंटे के भीतर जमा हो जाएगी। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि प्रक्रिया भी अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनेगी।


चेक का उपयोग और प्रासंगिकता

हालांकि डिजिटल भुगतान के विकल्प जैसे UPI, नेट बैंकिंग और मोबाइल वॉलेट तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, फिर भी चेक का उपयोग बड़े पैमाने पर जारी है। कॉरपोरेट और व्यवसायिक क्षेत्र में बड़े लेन-देन, वेंडर पेमेंट्स और ठेका भुगतानों में चेक अभी भी प्राथमिक विकल्प हैं। सरकारी विभाग पेंशन, रिफंड और अनुदान के लिए चेक जारी करते हैं। वरिष्ठ नागरिक और ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां डिजिटल साक्षरता सीमित है, चेक को अधिक सुरक्षित माना जाता है।


चेक के लाभ और सीमाएं

चेक के माध्यम से नकद ले जाने का जोखिम कम होता है और हर लेन-देन का लिखित रिकॉर्ड सुरक्षित रहता है। पोस्ट-डेटेड चेक से भविष्य के भुगतानों पर नियंत्रण भी संभव है। हालांकि, त्वरित भुगतान, अंतरराष्ट्रीय लेन-देन या छोटे दैनिक खर्चों के लिए चेक उपयुक्त नहीं हैं। इन स्थितियों में डिजिटल भुगतान अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक साबित होते हैं।