S. Jaishankar ने SCO बैठक में पाकिस्तान की आतंकवाद नीति पर उठाए सवाल
विदेश मंत्री का कड़ा रुख
S. Jaishankar: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की हालिया बैठक में पाकिस्तान की आतंकवाद के प्रति दोहरी नीति पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने बताया कि एक ऐसा देश (पाकिस्तान) है जो आतंकवाद के मुद्दे को संयुक्त बयान में शामिल करने से बचने की कोशिश कर रहा था, जिसके चलते साझा बयान जारी नहीं हो सका। जयशंकर ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के उस निर्णय का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने पहलगाम हमले का उल्लेख न होने पर संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था.
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की सराहना
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की सराहना
जयशंकर ने ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ की विदेश मामलों और सुरक्षा नीति प्रमुख काजा कैलास के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, “यह केवल भारत और पाकिस्तान का मुद्दा नहीं है, बल्कि भारत और ‘आतंकिस्तान’ के बीच का मामला है।” उन्होंने पाकिस्तान पर आतंकवाद को राज्य नीति के रूप में अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर अडिग है.
राजनाथ सिंह का कड़ा प्रहार
SCO की बैठक में राजनाथ सिंह का प्रहार
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी एससीओ बैठक में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने लश्कर-ए-तैयबा और टीआरएफ जैसे संगठनों के पाकिस्तानी संबंधों को उजागर करते हुए कहा, “आतंकवाद का कोई भी कार्य, चाहे वह कहीं भी हो, अनुचित है।” राजनाथ ने संयुक्त बयान में बलूचिस्तान का उल्लेख शामिल करने की पाकिस्तान की मांग को खारिज करते हुए पहलगाम हमले को शामिल करने पर जोर दिया, जिसे पाकिस्तान और चीन ने अस्वीकार कर दिया.
जयशंकर की अपील
जयशंकर की अपील
जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील की और कहा कि पाकिस्तान जैसे देशों को जवाबदेह ठहराना आवश्यक है। उन्होंने हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों को भारत को सौंपने की मांग को दोहराया, जो संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादी सूची में शामिल हैं.
सर्वदलीय बैठक की सराहना
S. Jaishankar ने सर्वदलीय बैठक को सराहा
ऑपरेशन सिंदूर के बाद सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की सराहना करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि यह गर्व की बात है कि देश के हित को सबसे पहले रखा गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने दुनिया भर में घूमने वाले और राष्ट्रीय हित में बोलने वाले बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के बीच एकता देखी। भारत ने दुनिया को यह संदेश दिया है कि आतंकवाद स्वीकार्य नहीं है और यदि यह जारी रहता है, तो देश को अपनी रक्षा करने का अधिकार है.