×

एफपीओ बनाकर 1100 से अधिक किसान तुलसी की खेती और उत्पाद बनाने का कर रहे काम

 




--झांसी के तुलसी उत्पादक किसान आयुर्वेदिक कम्पनियों को कर रहे तुलसी की सप्लाई

--खुद तुलसी के उत्पाद तैयार कर मार्केटिंग का काम कर रहे तुलसी उत्पादक किसान

झांसी, 30 नवम्बर (हि.स.)। योगी सरकार बुंदेलखंड के किसानों को उद्यमिता की राह पर प्रेरित कर उनकी आमदनी बढ़ाने का प्रयास कर रही है। झांसी में योगी सरकार की मदद से एफपीओ बनाकर तुलसी के उत्पादन में जुटे किसान अब दूसरे किसानों को भी उद्यमिता की राह दिखा रहे हैं। एफपीओ से जुड़े लगभग 1100 से अधिक किसान न सिर्फ तुलसी की पैदावार कर औषधि बनाने वाली कम्पनियों को सप्लाई दे रहे हैं, बल्कि खुद का प्रोसेसिंग प्लांट लगाकर कई तरह के उत्पाद तैयार कर उसकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग का काम भी कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार के उद्यान विभाग की मदद से झांसी में बुन्देलखंड औषधि फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी नाम के एफपीओ की शुरुआत लगभग ढाई साल पहले की गई थी। इस एफपीओ से अभी तक झांसी जिले 1170 किसान जुड़े हैं और इस समय ये सभी मिलकर 4000 एकड़ क्षेत्रफल में तुलसी की खेती कर रहे हैं। मुख्य रूप से तुलसी की रामा, कृष्णा और बना किस्मों की पैदावार ये किसान कर रहे हैं। पतंजलि समेत कई कम्पनियां इस एफपीओ से तुलसी की खरीद करती है। किसानों ने खुद एक प्रोसेसिंग प्लांट भी शुरू किया है और ग्रीन टी, हर्बल टी जैसे उत्पाद तैयार कर उसकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग का काम कर रहे हैं। तुलसी की खेती में सफलता मिलने के बाद इन किसानों ने कई अन्य औषधीय पौधों की खेती का काम भी शुरू किया है। झांसी स्थित रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय भी इन किसानों की मदद के लिए सामने आया है। तुलसी के डंठल पर रिसर्च किया जा रहा है, जिससे इनके डंठल से धूपबत्ती तैयार करने का काम शुरू किया जा सके।

बुन्देलखंड औषधि फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी के चेयरमैन और तुलसी का उत्पादन कर रहे प्रगतिशील कृषक पुष्पेंद्र यादव ने बताया कि प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार की किसानों की आमदनी बढ़ाने की मंशा को साकार करने की दिशा में इस तरह के प्रयास काफी मददगार साबित हो रहे हैं। उद्यान विभाग की मदद से हमने एफपीओ की शुरुआत की। रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय भी कई तरह की जानकारियां प्रदान कर हमारी मदद कर रहा है। तुलसी की खेती से जुड़कर किसानों की आमदनी बढ़ी है। हम कई अन्य तरह के औषधीय पौधों की भी खेती शुरू कर चुके हैं।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / महेश पटैरिया