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एनटीपीसी का स्वदेशी उत्प्ररेक वैश्विक पटल पर हासिल करेगा बड़ी उपलब्धि

 


— वायु प्रदूषण के कारक कार्बन डाइऑक्साइड से मेथेनॉल का करेगा उत्पादन

सोनभद्र, 29 अक्टूबर (हि.स.)। कोयला से चलने वाले बिजली संयंत्र के सामने कार्बन डाइऑक्साइड महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक है, क्योंकि वातावरण बहुत प्रदूषित होता है। इसको देखते हुए एनटीपीसी (नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड) ने भारतीय पेट्रोलियम संस्थान देहरादून के सहयोग से फ्लू गैस कार्बन डाइऑक्साइड से मेथनॉल उत्पादन के लिए स्वदेशी उत्प्रेरक विकसित कर लिया है। इससे एक तरफ जहां वातावरण को प्रदूषण से बचाया जा सकेगा, वहीं दूसरी तरफ मेथनॉल का प्रयोग मूल्यवान ईंधन के रूप में किया जा सकेगा। यह स्वदेशी उत्प्रेरक भारत ही नहीं, वैश्विक स्तर पर बड़ी उपलब्धि हासिल करेगा, क्योंकि इस उत्प्रेरक से उत्पादित मेथनॉल की शुद्धता 99 प्रतिशत से अधिक है।

एनटीपीसी विन्ध्याचल के उप प्रंबधक शंकर सुब्रमणियम ने मंगलवार को बताया कि हमारी अनुसंधान एवं विकास शाखा नेत्रा ने भारतीय पेट्रोलियम संस्थान देहरादून के सहयोग से कार्बन डाइऑक्साइड से मेथनॉल के हाइड्रोजनीकरण के लिए स्वदेशी उत्प्रेरक विकसित किया है। किसी भी रासायनिक संश्लेषण के लिए उत्प्रेरक एक आवश्यक घटक है। उत्प्रेरक के लक्षण वर्णन के बाद, उत्प्रेरक की लंबी अवधि की मात्रात्मक और गुणात्मक प्रदर्शन का मूल्यांकन विशेष रुप से डिजाइन किए गए 10 किलोग्राम प्रति दिन मेथनॉल पायलट संयंत्र में किया जा रहा है। यहां एक मोल कार्बन डाइऑक्साइड और 3 मोल एच2 फिक्स बेड डाउन फ्लो रिएक्टर से गुजरे। इस स्वदेशी उत्प्रेरक से उत्पादित मेथनॉल की शुद्धता 99 प्रतिशत से अधिक है।

ऊर्जा के क्षेत्र में मानक स्थापित कर रहा एनटीपीसी

उप प्रबंधक ने बताया कि एनटीपीसी अपने ग्रीनहाउस गैस के न्यूनीकरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है और ऊर्जा क्षेत्र में स्थिरता का एक मानक स्थापित कर रहा है। आगे कहा कि एनटीपीसी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है, जो भारत के 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य के अनुरूप है। इसके साथ ही वैश्विक जलवायु के लक्ष्यों में भी मददगार साबित होने का प्रयास किया जा रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार / पीयूष त्रिपाठी