भारत पर्व-2025 स्टैच्यू ऑफ यूनिटी : तेलंगाना की चेरियाल पेंटिंग ने मोहा आगंतुकों का मन
गांधीनगर, 17 नवंबर (हि.स.)। सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर एकता नगर में भारत पर्व पर विभिन्न राज्यों की ओर से अपनी विशिष्ट विरासत का प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। इनमें तेलंगाना की अनोखी चेरियाल पेंटिंग को दर्शाने वाला स्टॉल अपने रंगों, कहानियों और इतिहास के लिए सबसे अलग नजर आ रहा है। यह आगंतुकों का बरबस ही मन मोह रहा है।
दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ परिसर में भारत सरकार और गुजरात सरकार के संयुक्त तत्वावधान में ‘भारत पर्व-2025’ का भव्य आयोजन देश की विविधतापूर्ण संस्कृति, कला और हस्तकला को प्रदर्शित करने वाला यह जीवंत उत्सव अनेकता में एकता की झलक प्रस्तुत करता है। यह जानकारी राज्य सूचना विभाग ने अपने बयान में दी।
24 वर्षीय कलाकार चेरियाल पेंटिंग सांस्कृतिक विरासत को कर रही उजागर
तेलंगाना की 24 वर्षीय चेरियाल कलाकार सी.एच. वंशिथा और उनकी माता अपने राज्य की संस्कृति की सदियों पुरानी कहानियों को चेरियाल पेंटिंग के माध्यम से प्रस्तुत करने और इस कला को संरक्षित करने के मिशन पर हैं। वे एकता नगर में भारत पर्व के माध्यम से इस मिशन को आगे बढ़ा रही हैं।
चेरियाल कला तेलंगाना के चेरियाल गांव की एक पारंपरिक स्क्रॉल पेंटिंग शैली है। यह दृश्य कला के माध्यम से कहानी कहने की एक कला है। इसमें चित्रों का उपयोग पारंपरिक कहानी कहने के लिए किया जाता है। ये पेंटिंग हिंदू पौराणिक कथाओं, लोककथाओं और ग्रामीण जीवन के दृश्यों को दर्शाती है। इस कला में जीवंत और जटिल कथात्मक चित्रों को खादी के कपड़े पर उकेरा जाता है। इसमें इमली के बीज के पेस्ट, चावल के स्टार्च और चाक पावडर के मिश्रण का उपयोग होता है, जो पेंटिंग के लिए एक मजबूत आधार तैयार करता है।
तेलंगाना की चेरियाल स्क्रॉल पेंटिंग को मिला है जीआई टैग
तेलंगाना की चेरियाल पेंटिंग सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का एक सुंदर माध्यम है, जिसके रंग देखने वालों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। इस कला को अपनी सांस्कृतिक धरोहर के लिए भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग मिला है। चेरियाल पेंटिंग की विशेषता इसके प्राकृतिक रंग हैं। कलाकार पेंटिंग बनाने के लिए खनिज, फूल और समुद्री सीपियों आदि से प्राप्त रंगों का उपयोग करते हैं और उन्हें हस्तनिर्मित ब्रश के जरिए कपड़े पर उकेरते हैं। इस पेंटिंग में रामायण, महाभारत और स्थानीय लोक कथाओं जैसे भारतीय महाकाव्यों के दृश्यों को अद्भुत तरीके से चित्रित किया जाता है। प्रत्येक चित्र एक जीवंत दृश्य कहानी की तरह प्रकट होता है, जो ग्रामीण तेलंगाना की समृद्ध परंपराओं और जीवन शैली का वर्णन करता है। पृष्ठभूमि में चटक लाल रंग, चेहरे की अभिव्यक्ति और बोल्ड आउटलाइन चेरियाल पेंटिंग की पहचान हैं।
पारंपरिक रूप से, लोक गायकों और कलाकारों द्वारा इन चित्रों का उपयोग अपनी कहानियां सुनाने के लिए किया जाता है, लेकिन आज इस हस्तकला का विस्तार वॉल हैंगिंग्स (फोटोफ्रेम या पोस्टर्स), मास्क और सजावटी कलाकृतियों की वस्तुओं तक हो गया है। इस हस्तकला को नक्काशी कलाकारों (चेरियाल चित्रकारों) की पीढ़ियां आगे बढ़ा रही हैं, जो सदियों पुरानी तकनीकों को संरक्षित रखते हुए उसमें नवाचार कर रहे हैं। भारत पर्व में बड़ी संख्या में आगंतुकों ने चेरियाल पेंटिंग को बड़ी उत्सुकता के साथ देखा और पौराणिक कथाओं को दर्शाने वाले चित्रों का वर्णन भी सुना। पहली बार भारत पर्व जैसे कार्यक्रम में शामिल होने वाली और बी.टेक. की डिग्री हासिल कर चुकी सी.एच. वंशिथा ने कहा, “मैं बचपन से इस कला के साथ पली-बढ़ी हूं। मेरी माता पिछले 15 वर्षों से इस कला के प्रति समर्पित हैं और मैं गत चार वर्षों से इस कला से जुड़ी हुई हूं। हमारे द्वारा बनाए गए हरेक चित्र में हमारे देवताओं और पूर्वजों की कथाएं हैं। हमारा लक्ष्य इस कला के माध्यम से दुनिया को यह बताना है कि हमारी विरासत कितनी समृद्ध है।”
भारत पर्व : परंपरा, संदेश और रचनात्मकता का अनोखा समन्वय
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परिसर में आयोजित भारत पर्व-2025 देश भर के कलाकारों और कारीगरों के लिए उनकी क्षेत्रीय परंपरा और धरोहर को प्रस्तुत करने का एक सशक्त मंच है। इस मंच के माध्यम से तेलंगाना की 24 वर्षीय युवती ने अपनी हस्तकला के जरिए भारत की ‘विविधता में एकता’ की भावना को प्रतिबिंबित किया है। डिजिटल आर्ट और मॉडर्न स्टोरीटेलिंग (कहानी कहने की कला) के इस युग में वंशिथा चेरियाल पेंटिंग जैसी कला की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / Abhishek Barad