हुकुम चंद जैन ने जेल जाने के पहले खाई मलाई, कहा- अब चलो
लोकतंत्र सेनानी हुकुम चंद जैन से संवाद
- डाॅ. एल.एन.वैष्णव
दमोह, 25 जून (हि.स.)। 1975 से लेकर 1977 तक कुल 21 माह का वक्त भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का काला धब्बा कहा जाता है। यह वह कालखंड था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता को बचाने के लिये देश में आपातकाल लगा दिया था।
उल्लेखनीय है कि 12 जून को इलाहबाद उच्च न्यायालय ने अपने ऐतीहासिक फैसले में इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध घोषित कर दिया था। 25 जून को इंदिरा गांधी की सिफारिश पर तत्कालीन राष्द्रपति फखरूद्दीन अहमद ने आपातकाल की घोषणा पर मुहर लगा दी और इस तरह देश में तत्कालीन केंद्र की इंदिरा सरकार के विरूद्ध बोलने पर जेल में ठूंसा जाने लगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ताओं को चुन-चुन कर जेल में बंद किया गया तो दूसरी ओर प्रेस की आजादी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस दौरान मध्य प्रदेश में प्राय: सभी जिलों से पुलिस ने लोगों को उठाया और जेल भेज दिया था, जिसमें कि दमोह में इस दौरान आरएसएस से संबध रखने वाले एक के बाद एक 42 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से वर्तमान में दो लोग जीवित हैं। एक 95 वर्षीय डाॅ. रामशंकर राजपूत निवासी ग्राम बांसा तारखेडा और दूसरे मीसाबंदी 92 वर्षीय हुकुम चंद जैन निवासी दमोह।
जेल जाने के पहले खाई मलाई-
वयोवृद्ध 92 बर्षीय हुकुम चंद जैन ने चर्चा क दौरान बताया कि वह सहकारी बैंक में नौकरी करते थे और आरएसएस के कार्यकर्ता थे। 25 एवं 26 जून 1975 की दरमियानी रात्रि में देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी गयी थी। वह जब बैंक में थे उसी समय एक फोन बैंक में आया कि आप कहां हो, मैंने जवाब दिया कि वह बैंक में हैं। कुछ देर बाद मुझे गिरफ्तार करने पुलिस आयी। मैने कहा चलो। बाहर निकला तो एक साथी ने होटल से आवाज लगायी कि चाय तो पी लो। मैंने जवाब दिया कि चाय नहीं मलाई खाऊंगा। सब हंसने लगे। मैं भी जमकर हंसा, सोचा जेल तो जाना ही है तो क्यों न मलाई खाकर ही जाया जाये। वह एक प्रश्न के उत्तर में कहते हैं कि हम जेल चले गये और पत्नी मायके चली गयी, क्योंकि परिवार पर आर्थिक संकट भी आने लगा था और देखभाल करने वाला भी कोई नहीं था।
जेल में शाखा, प्रार्थना और खेल-
लोकतंत्र सेनानी हुकुम चंद जैन कहते हैं कि जेल में हम 42 लोग एक साथ थे, क्योंकि सभी संघ के कार्यकर्ता थे। हम शाखा लगाते, प्रार्थना करते और खेल खेलते थे। वह कहते हैं कि जेल में उस समय कुछ मुसलमान भी बंद थे, उनके ऊपर जब संकट आया तो हम लोगों ने तत्काल मदद की तब वह हमारी कार्य प्रणाली से प्रेरित होने लगे थे। वह कहते थे कि आरएसएस के बारे में जब नजदीक से देखा तब समझ में आया कि संघ के बारे में जो बताया जाता था, वह सब झूठ था। संघ तो सभी को साथ लेकर चलने में विश्वास रखता है।
जिनकी शक्ल नहीं देखी वह बन गये लोकतंत्र सैनानी-
वयोवृद्ध लोकतंत्र सैनानी हुकुम चंद जैन अपने साथियों के नाम गिनाते हुये दमोह के लोकतंत्र सेनानियों की सूची पर आश्चर्य व्यक्त करते हुये कहते हैं कि जिनकी कभी शक्ल नहीं दिखी, वह कैसे लोकतंत्र सेनानियों की सूची में आ गये? वह हंसते हुये कहते हैं कि यह सब पैसों का खेल है लेकिन यह सब ठीक नहीं है। अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है, वास्तविक लोकतंत्र सेनानियों को ही चिन्हित किया जाए और जो गलत लोग सूची में शामिल हो गए हैं, उन्हें इससे बाहर निकालना चाहिए। वे कहते हैं कि यह कार्य मध्य प्रदेश की वर्तमान सरकार को जरूर करना चाहिए।
संघ के संघर्ष का ही परिणाम है जो भाजपा सत्ता में आयी-
हुकुम चंद जैन ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लगातार कार्य करता रहता है। उसका मूल ध्येय है भारत भक्ति और अपने देश को विश्व में सबसे अधिक शक्ति सम्पन्न बनाना, किंतु इसके बाद भी आपातकाल के समय संघ को समाप्त करने का प्रयास किया गया और कार्यकर्ताओं को तोड़ने के लिये उन्हें भयंकर यातनायें तक दी गयीं, उन्हें जेल भेजा गया। लेकिन वे कभी निराश नहीं हुए हैं। यह संघ के समर्पित स्वयंसेवकों के त्याग और कार्य का परिणाम है कि आज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) केंद्र में और मध्य प्रदेश में सत्ता में है। वह मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुये कहते हैं कि चाहे जो हो केंद्र में भी तीसरी बार भाजपा की सरकार तो बनी। वह देश के उत्थान के लिये कार्य कर रही है।
एक प्रश्न के उत्तर में वह कहते हैं कि हलांकि संगठन में अब हम लोगों को पूछने वाले कम ही लोग बचे हैं। कोई कुछ जानकारी लेता है तो हम अवश्य बताते हैं। वह संगठन और सरकार से उम्मीद भी करते हैं और शिकायत भी। हुकुम चंद जैन अब कमजोर और चलने-फिरने में लाचार हो गये हैं। जब आपातकाल की चर्चा करने उनसे संपर्क किया गया तो उनकी आंखों में चमक और चेहरे पर जोश और आत्मीयता का भाव साफ दिखाई दे रहा था। जिस उत्साह और भाव विभोर होकर वे उत्तर दे रहे थे उससे लग रहा था कि वह 92 वर्षीय कोई बुजुर्ग नहीं बल्कि 21 साल के युवा हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / हंसा वैष्णव