विशेष :: प्रवासी बंगालियों को साधने की रणनीति, भाजपा ने दुर्गा पूजा आउटरीच के जरिए शुरू की देश भर के बांग्लाभाषियों से सम्पर्क साधने की मुहिम
कोलकाता, 20 सितम्बर (हि.स.)।
पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियों दुर्गापूजा के बहाने जनसंपर्क बढ़ाने की मुहिम में जुट गई है । इसी क्रम में भारतीय जनता पार्टी ने इस बार न केवल राज्य में, बल्कि देशभर में बसे प्रवासी बंगालियों को साधने के लिए बड़े स्तर पर ‘पूजा आउटरीच कार्यक्रम’ शुरू किया है। भाजपा इसे सार्वजनिक रूप से त्योहारों से जुड़ा सांस्कृतिक संवाद बता रही है, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि असल उद्देश्य प्रवासी बंगालियों के जरिए मतदाताओं को प्रभावित करना है।
तृणमूल कांग्रेस लंबे समय से बांग्ला अस्मिता और प्रवासी बंगालियों के कथित उत्पीड़न को मुद्दा बनाती रही है। इसके जवाब में भाजपा नेताओं ने दावा किया है कि कहीं भी बंगालियों का उत्पीड़न नहीं हो रहा, बल्कि यह टीएमसी का राजनीतिक प्रोपेगेंडा है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने कहा, किसी भी राज्य में बंगालियों के साथ कोई उत्पीड़न नहीं हो रहा। टीएमसी ने झूठी कहानियां गढ़ी हैं। हमारा कार्यक्रम त्योहारों के बहाने लोगों से जुड़ने का है।
भाजपा का मकसद है कि प्रवासी और लंबे समय से बाहर बसे बंगाली समुदाय अपने परिजनों और परिचितों के साथ लौटकर विकास और सुशासन के संदेश साझा करें और तृणमूल सरकार के ढोंग की पोल खोलें। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने इसे पूजा कैलेंडर के साथ जुड़ा लक्षित जनसंपर्क अभियान करार दिया।
पार्टी ने इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर योजना बनाई है। दो राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम और तरुण चुग पूरे अभियान की निगरानी कर रहे हैं और हर राज्य में स्थानीय टीमें गठित की गई हैं, जो पूजा समितियों से संपर्क साधकर बंगाल से गए नेताओं को बैठकों तक ले जा रही हैं।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य ने कहा, पार्टी की हर गतिविधि योजनाबद्ध होती है। इस अभियान के पीछे भी ठोस रणनीति है। फिलहाल हम सभी विवरण साझा नहीं कर सकते। उन्होंने खुद गुजरात चरण की जिम्मेदारी संभाली है, जबकि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार वाराणसी (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र) जाएंगे। राहुल सिन्हा चंडीगढ़ दौरे पर रहे और अंडमान-निकोबार की जिम्मेदारी उनके करीबी अमिताभ राय को दी गई है। कई दल पहले ही अपने-अपने चरण पूरे कर लौट चुके हैं।
इस आउटरीच अभियान के तहत भाजपा नेताओं ने दिल्ली, मुंबई, पुणे, नासिक, सूरत, जयपुर, देहरादून, हरिद्वार, लखनऊ, वाराणसी, रांची, पटना, भुवनेश्वर, हैदराबाद, चेन्नई, तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, बेंगलुरु, पणजी और मडगांव सहित कई शहरों में पूजा समितियों और प्रवासी बंगाली समूहों से मुलाकात कर रहे हैं। चंडीगढ़ और अंडमान-निकोबार भी इस सूची में शामिल हैं।
भाजपा नेताओं के अनुसार, उन्हें प्रवासी समितियों से गर्मजोशी भरा स्वागत मिला। दिल्ली में समितियों ने पारंपरिक बंगाली नाश्ते के साथ अभिवादन किया, जबकि पुणे में 50-55 सदस्यों के साथ खुली चर्चा और सामूहिक भोजन का आयोजन किया गया।
दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह दुर्गापूजा जैसे सांस्कृतिक उत्सव को राजनीतिक मंच में बदलकर साम्प्रदायिक तनाव भड़काना चाहती है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, भाजपा जानती है कि राज्य के भीतर वह ज्यादा प्रभाव नहीं डाल सकती, इसलिए वह प्रवासी बंगालियों के बीच सांस्कृतिक पहचान का मुद्दा उठाकर राजनीति कर रही है।
जैसे-जैसे दुर्गापूजा नजदीक आ रही है, यह स्पष्ट हो रहा है कि पंडाल अब केवल पूजा और उत्सव के स्थल नहीं, बल्कि राजनीतिक वर्चस्व का मैदान भी बनते जा रहे हैं। भाजपा सांस्कृतिक संपर्क को चुनावी बढ़त में बदलने की कोशिश कर रही है, वहीं तृणमूल इसे अपनी ‘बांग्ला अस्मिता’ का सवाल बना रही है। आने वाले हफ्तों में यह साफ होगा कि त्योहारों का यह जनसंपर्क वोटों में तब्दील होता है या नहीं, लेकिन इतना तय है कि दुर्गापूजा का मंच इस बार बंगाल की सबसे अहम राजनीतिक जंग का अखाड़ा बनता जा रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर