धर्मांतरण और विभाजन की विभीषिका झेलने वालों की कहानी बयां करेगी फिल्म शरणार्थी – द रिफ्यूजीज़
संगीता दत्ता के निर्देशन में बन रही फिल्म में पहली बार अभिनेता के तौर पर नजर आएंगे पूर्व राज्यपाल तथागत राय
कोलकाता, 12 अक्टूबर (हि.स.)। बंगाल के इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने और बंगाली अस्मिता को ठेस पहुंचाने के आरोप झेल चुकी फिल्मों ‘केशरी टू’ और ‘द बंगाल फाइल्स’ के बाद अब बंगाल के इतिहास पर एक नई फिल्म बन रही है, जो इन विवादों से बिल्कुल अलग दिशा में है। फिल्म का नाम है ‘शरणार्थी – द रिफ्यूजीज़’। इसका निर्देशन कर रही हैं प्रसिद्ध डॉक्युमेंट्री फिल्मकार संगीता दत्ता और इसमें प्रमुख भूमिका निभाएंगे त्रिपुरा और मेघालय के पूर्व राज्यपाल तथा लेखक तथागत राय।
यह फिल्म तथागत राय की प्रसिद्ध पुस्तक ‘माय पीपल अपरूटेड’ पर आधारित है, जो धर्म के आधार पर भारत के विभाजन और पूर्वी बंगाल से हिंदू बंगालियों के जबरन विस्थापन की ऐतिहासिक कहानी को दर्शाएगी। इसमें विभाजन के राजनीतिक, सामाजिक और नृजातीय (एथनोग्राफिक) पहलुओं को गहराई से दिखाने की कोशिश की गई है।
संगीत दत्ता ने हिंदुस्थान समाचार से विशेष बातचीत में बताया कि फिल्म में तथागत राय के साथ दो और प्रमुख पात्र हैं—असम के बांग्ला भाषी जन्मजीत राय, जो असम के हिंदू बंगाली शरणार्थियों से जुड़े रहे हैं, और दिनु दास, जो पूर्वी पाकिस्तान से पलायन कर भारत आए एक शरणार्थी परिवार से हैं। फिल्म में ये तीनों पात्र रैडक्लिफ रेखा से जुड़ी पीड़ा और विस्थापन की विरासत की खोज में निकलते हैं।
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आर्थिक बाधाओं के चलते फिल्म कंप्लीट होने में हो रही देरी
फिल्म का निर्माण सीमित संसाधनों के बीच हो रहा है। संगीता ने बताया कि उन्होंने इस फिल्म के लिए बैंक से ऋण लिया है। इसके अलावा तथागत राय के कुछ मित्रों के सहयोग से वर्ष 2022 से काम जारी है। अब तक लगभग ₹10 लाख खर्च हो चुके हैं और फिल्म का मात्र 12-14 प्रतिशत कार्य पूरा हुआ है। संगीता उम्मीद जताती हैं कि यदि पर्याप्त धन मिल गया तो 2026 के मध्य तक शेष काम पूरा कर लिया जाएगा।
संगीत दत्ता ने भौतिकी की पढ़ाई के बाद 1991 में रवींद्र भारती विश्वविद्यालय से नाट्यकला में स्नातकोत्तर किया। 1994 में एनएफडीसी निर्मित ओड़िया फिल्म ‘निर्वाचन’ में उन्होंने निर्देशक बिप्लब रायचौधुरी की सहायक निर्देशक और अभिनेत्री के रूप में काम किया। यह फिल्म राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हुई। इसके बाद उन्होंने भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और साहित्य अकादमी से लेकर इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स जैसी संस्थाओं के लिए आदिवासी जीवन और संस्कृति पर कई डॉक्युमेंट्री फिल्में बनाईं।
2016 में उन्हें भारत सरकार की संस्कृति मंत्रालय की सीनियर रिसर्च फेलोशिप प्राप्त हुई थी और 2023 में ब्रिटेन के रॉयल एंथ्रोपोलॉजिकल इंस्टिट्यूट में उनके शोध कार्य को मान्यता मिली।
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क्या है फिल्म की विषयवस्तु
संगीता के अनुसार, “हिंदू बंगाली शरणार्थियों का इतिहास मैंने पुस्तकों में पढ़ा और अपने आसपास के लोगों से सुना। लेकिन मेरी फिल्म केवल एक धर्म की त्रासदी पर केंद्रित नहीं है। मैं इसे एक नृजातीय (एथनोग्राफिक) अध्ययन के रूप में प्रस्तुत करना चाहती हूं। इसके लिए मैंने पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा में फील्ड सर्वे किए हैं।”
फिल्म में सन् 1200 के आसपास तुर्क आक्रांता बख्तियार खिलजी के भारत आक्रमण, नालंदा विश्वविद्यालय के विनाश, बौद्ध सन्यासियों के कत्लेआम और असम के मिच जनजाति के धर्मांतरण जैसी ऐतिहासिक घटनाओं को भी शोध-आधारित दृश्य सामग्री के रूप में शामिल किया गया है।
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गहन शोध पर आधारित है फिल्म
‘शरणार्थी’ का स्क्रिप्ट तथागत राय की पुस्तक के साथ-साथ इतिहासकार सर यदुनाथ सरकार की ‘हिस्ट्री ऑफ बंगाल – मुस्लिम पीरियड’ (खंड 2) और एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय के इतिहासकार विलियम वॉन शैंडेल की ‘द बंगाल बॉर्डरलैंड’ पर आधारित है। फिल्म में विभाजन के प्रत्यक्षदर्शियों जैसे रवींद्रनाथ दत्ता, श्यामलेश दास और रंजीत कर की स्मृतियां भी शामिल की गई हैं।
यह फिल्म बांग्ला और असमिया भाषाओं में बनाई जा रही है, जिनमें अंग्रेजी उपशीर्षक होंगे।
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सरकारी सहायता की अपेक्षा
संगीता ने बताया कि उन्होंने एनएफडीसी (राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम) और केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्रालय से सहायता की मांग की है। । इसके अलावा, उन्होंने पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विस्व सरमा से भी सहयोग प्राप्त किया है।
-------- इतिहास को उजागर करना है लक्ष्य
हाल में ‘द बंगाल फाइल्स’ को लेकर उठे विवाद पर संगीता ने कहा, “मैं राजनीति की व्यक्ति नहीं, बल्कि इतिहास की शोधकर्ता हूं। मेरा उद्देश्य है—देश के विभाजन और हिंदू बंगालियों के विस्थापन के कारणों को राष्ट्रीय दृष्टिकोण से प्रस्तुत करना। मैं वास्तविक पात्रों के जीवन पर आधारित एक सजीव प्रयोगात्मक फिल्म बना रही हूं।”
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर