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आर्द्रा नक्षत्र 22 को दोपहर 2.12 बजे से शुरू, बनेंगे कई संयोग

 






चतरा, 21 जून (हि.स.)। ग्रहों के राजा सूर्य रविवार की दोपहर 2:12 बजे से आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इस बार आर्द्रा नक्षत्र में ग्रहों का गोचर और चाल कई बड़े संकेत दे रहे हैं। आर्द्रा नक्षत्र में सूर्य का गोचर भूकंप, तूफान या भारी वर्षा के संकेत माना जाता है। काशी के प्रसिद्ध हृषीकेश पंचांग के अनुसार इस बार आर्द्रा नक्षत्र में पांच आढ़क वर्षा होगी। ऐसे में यह नक्षत्र इस बार कृषि कार्य के लिए बेहद ही शुभ माना जा रहा है।

वहीं यात्रा नक्षत्र का वाहन इस बार मंडूक अर्थात मूषक है। पंचांग के अनुसार इस नक्षत्र में इस बार वायु वेग के साथ वर्षा होगी। चतरा के जन्मकुंडली, वास्तु और कर्मकाण्ड परामर्श के विशेषज्ञ आचार्य पंडित चेतन पाण्डेय ने बताया कि सूर्य का इस नक्षत्र में प्रवेश शुभ माना जाता है। सूर्य को आरोग्य, ऊर्जा और प्रकाश का प्रतीक कहा गया है। यह जीवन में उम्मीद का संवाहक माना जाता है। आर्द्रा नक्षत्र का स्वामी राहु है। यह मिर्गशिरा क्षेत्र के बाद और पुनर्वसु नक्षत्र के पहले आता है। इस नक्षत्र से मिथुन राशि का निर्माण होता है। इसलिए इस पर बुध का भी प्रभाव होता है। आचार्य ने बताया कि जब सूर्य किसी राशि या नक्षत्र में गोचर करते हैं तो उसका प्रभाव व्यापक स्तर पर देखने को मिलता है। कभी यह स्थि‍ति सामान्‍य परिवर्तन लाता है तो कभी यह प्राकृतिक और सामाजिक असंतुलन का कारण भी बनता है। उन्होंने कहा कि सूर्य का मिथुन राशि में प्रवेश 15 जून को हुआ है। इस राशि में पहले से ही वृहस्पति अस्त अवस्था में हैं।

वहीं बुध भी पहले से ही विराजमान हैं। 22 जून को सूर्य का गोचर राहु के स्वामित्व वाले आर्द्रा नक्षत्र में हो रहा है। यह गोचर रविवार को हो रहा है और पंचांग के अनुसार रविवार को आषाढ़ कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि रहेगी। आचार्य ने बताया कि आर्द्रा नक्षत्र के देवता रुद्र हैं और इसके स्वामी राहु हैं। इसका स्वभाव तीव्रगामी माना जाता है।

यही कारण है कि जब सूर्य इस नक्षत्र के पहले चरण में प्रवेश करते हैं तो पृथ्वी रजस्वला अवस्था मे होती है। 22 जून से 25 जून तक आर्द्रा नक्षत्र का पहला चरण रहेगा। इस समय भूमि की जुताई और बुआई करना निषेध बताया गया है, क्योंकि इसे खेती के लिए अनुपयुक्त समय माना जाता है।

सूर्य, रविवार और द्वादशी का बनेगा संयोग

द्वादशी तिथि को सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश सामान्यतः शुभ माना जाता है, लेकिन इस बार यह गोचर रविवार को हो रहा है। इसलिए पशु-पालन से जुड़े क्षेत्रों में हानि की आशंका जताई गई है। विशेषकर छह जुलाई तक पशुओं में महामारी फैलने का खतरा बना रहेगा।

उन्होंने कहा कि इस बार आर्द्रा नक्षत्र का वाहन मूषक (चूहा) है और इसका योग स्त्री-पुरुष सम्मिलन का प्रतीक है। इस कारण शुरुआत में तेज हवा और मूसलाधार बारिश, उसके बाद धीमी वर्षा की संभावनाएं बनेंगी। इससे बाढ़, आकाशीय बिजली गिरने और भूस्खलन जैसी आपदाओं की आशंका भी प्रबल रहेगी।

गुरू-राहु का बनेगा चांडाल योग

आचार्य ने बताया कि रविवार को सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में गोचर करने जा रहे हैं, जबकि वृहस्पति पहले से ही अस्त अवस्था में हैं। ऐसे में गुरु-राहु का चांडाल योग बन रहा है जो मिथुन राशि में सक्रिय है। साथ ही सिंह राशि में मंगल और केतु की युति अंगारक योग बना रही है। इन दोनों योगों का प्रभाव मिलकर भीषण गर्मी, दुर्घटना, महामारी, और भूकंप-बाढ़ जैसी स्थितियों को जन्म दे सकता है। मिथुन, सिंह और कुम्भ राशि पर ग्रहों की दृष्टी विशेष रूप से इन नकारात्मक घटनाओं से जुड़ी हुई है।

इन राशियों को मिलेगा लाभ

आचार्य पंडित चेतन पांंडेय ने बताया कि सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में गोचर से कुछ राशियों को विशेष लाभ भी मिलेगा। मेष, वृषभ, सिंह, कन्या और कुम्भ राशियों के लिए यह समय करियर, व्यापार और सामाजिक प्रतिष्ठा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाने वाला हो सकता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / जितेन्द्र तिवारी