शिक्षा क्षेत्र में अभिनव दृष्टिकोण अपनाने में अग्रणी गुजरात: ‘मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस’ बना देश का सबसे बड़ा स्कूली शिक्षा मिशन
गांधीनगर, 25 जून (हि.स.)। गुजरात में शिक्षा के क्षेत्र में किए गए ठोस कार्यों के चलते आज प्रदेश का शिक्षा मॉडल अन्य राज्यों के लिए एक दृष्टांत बन गया है। गुजरात में प्राथमिक शिक्षा के विस्तार में शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम ने मुख्य भूमिका निभाई है। तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2002-03 में शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम शुरू किया था, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि प्रत्येक बच्चे को स्कूल में प्रवेश के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी मिले। इस पहल के कारण पिछले 22 वर्षों में शिक्षा क्षेत्र में बुनियादी स्तर पर सुधार हुआ है और स्कूलों में बच्चों की नामांकन दर में भी उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया है।
शिक्षा क्षेत्र में अभिनव पहल को अपनाने में अग्रणी गुजरात की दूसरी मुख्य पहल ‘मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस’ है, जिसका उद्देश्य बेहतर बुनियादी ढांचा सुविधाओं और शिक्षा पद्धति के जरिए विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर गुजरात की आने वाली पीढ़ी का भविष्य उज्ज्वल बनाना है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत अब तक 13,353 नए क्लासरूम, 21 नई कंप्यूटर लैब, 1,09,000 नए स्मार्ट क्लासरूम और 5000 नई स्टेम (एसटीईएम- विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) लैब बनाने का कार्य पूरा हो चुका है।
शिक्षा क्षेत्र में क्रांति : गुजरात में शुरू हुआ देश का सबसे बड़ा स्कूली शिक्षा मिशन
यदि स्कूलों को प्रतिस्पर्धी बनाने के साथ-साथ श्रेष्ठ बुनियादी ढांचे से सुसज्जित किया जाए और बच्चों को स्कूल परिसर में ही शैक्षिक एवं भौतिक सुविधाएं, स्मार्ट क्लासरूम, स्टेम लैब और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों का आकर्षण उपलब्ध कराया जाए तो शैक्षणिक गुणवत्ता में अधिकतम सुधार संभव हो सकता है। शिक्षा क्षेत्र में अभिनव दृष्टिकोण को अपनाने में अग्रणी गुजरात ने वर्ष 2022 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में देश का सबसे बड़ा सर्वग्राही स्कूली अभियान- ‘मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस’ शुरू किया था। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के अंतर्गत गुजरात सरकार लगभग 12,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इस प्रोजेक्ट के लिए विश्व बैंक की ओर से 750 मिलियन डॉलर के कोष की घोषणा की गई है।
‘मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस’ का उद्देश्य बुनियादी ढांचा सुविधाओं, डिजिटल शिक्षा उपकरणों और बुनियादी शिक्षा को मजबूत बनाकर लगभग 40,000 सरकारी और अनुदान प्राप्त स्कूलों का उन्नयन करना है। समग्र देश में स्कूली शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने का यह अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट है।
50,000 नए क्लासरूम और 1,50,000 नए स्मार्ट क्लासरूम बनाने का लक्ष्य
‘मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस’ के अंतर्गत पूरे गुजरात के स्कूलों के भौतिक और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने का कार्य तेज गति से चल रहा है। इस पहल के हिस्से के रूप में 50,000 नए क्लासरूम बनाने का लक्ष्य है, जिनमें से 13,353 नए क्लासरूम के निर्माण का काम पूरा हो चुका है जबकि 31,469 क्लासरूम का कार्य प्रगति पर है। नए क्लासरूम के निर्माण कार्य के अलावा 27,872 क्लासरूम के आधुनिकीकरण का काम भी पूरा हो चुका है और 63,860 क्लासरूम के आधुनिकीकरण का कार्य प्रगति पर है।
शिक्षा क्षेत्र में डिजिटल दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए 21,000 नई कंप्यूटर लैब की स्थापना की गई है। 18,000 सरकारी और अनुदानित स्कूलों को कंप्यूटर लैब से सुसज्जित करने की प्रक्रिया प्रगति पर है। इसके अलावा, इस मिशन का उद्देश्य 1,50,000 नए स्मार्ट क्लासरूम बनाना है, जिनमें से 1,09,000 नए स्मार्ट क्लासरूम का कार्य पहले ही पूरा हो चुका है और सरकारी एवं अनुदानित स्कूलों को 26,000 स्मार्ट क्लासरूम की सुविधा प्रदान करने का कार्य प्रगति पर है। विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी विषय में शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 5,000 नई स्टेम लैब का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है।
‘मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस’ सुनिश्चित करेगा बच्चों का सर्वांगीण विकास
‘मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस’ के अंतर्गत स्कूल ट्रांसफॉर्मेशन और स्कूल ट्रांसफॉर्मेशन के अंतर्गत सभी चयनित प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में सिविल इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, स्मार्ट क्लासरूम, कंप्यूटर लैब, स्टेम लैब, ऑनलाइन असेसमेंट, रेमेडियल क्लास, होलिस्टिक एजुकेशन स्कूल जैसे विभिन्न नियोजित कार्य किए जाएंगे। इससे प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से लगभग एक करोड़ विद्यार्थियों को सीधा फायदा होगा और गुजरात में प्राथमिक शिक्षा की नींव मजबूत होगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / Abhishek Barad