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कुल और कोख की रक्षा करती है मां कौलेश्वरी, देश-विदेश से आते हैं श्रद्धालु

 
















चतरा, 25 सितंबर (हि.स.)। झारखंड और बिहार राज्य के सीमा पर स्थित हंटरगंज प्रखंड का कोल्हुआ पर्वत जिसे कौलेश्वरी भी कहा जाता है, यह तीन धर्मों का संगम स्थली है। नवरात्र में कोल्हुआ पर्वत देश-विदेश के श्रद्धालु पहुंचते हैं। संतान प्राप्ति की कामना को लेकर नवरात्र में यहां लाखों की भीड़ उमड़ती है। यह पर्वत रामायण और महाभारत काल से जुड़ा हुआ है।

1755 फीट की ऊंचाई पर कोल्हुआ पहाड़ी की चोटी पर माता कौलेश्वरी का एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर महाभारत कालीन है। राजा विराट ने पहाड़ी की चोटी पर माता कौलेश्वरी की प्रतिमा स्थापित कराई थी। मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां निवास किया था। द्राैपदी के संग पांडवों ने माता कौलेश्वरी की आराधना की थी। माता के इस स्वरूप का दुर्गा सप्तशती में भी वर्णन है। पुराणों में वर्णित राजा सूरथ ने भी यहां तपस्या की थी। पहाड़ी की चोटी पर भी आकाश लोचन और भीम गुफा कई रहस्यों और मान्यताओं से भरा पड़ी है। जैन धर्म के लिए भी यह स्थल पूजनीय है।

बच्‍चों की नजर सीधी करने के लिए पहुंचते हैं भक्‍त

शारदीय नवरात्र में मां के दर्शन व पूजन के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी लोग पहुंचते हैं। संतान प्राप्ति की कामना को लेकर यहां साल भर लोगों का आना-जाना लगा रहता है। खासकर बच्चों की नजर सीधी करने के लिए भीड़ लगी रहती है। मान्यता है कि मां कौलेश्वरी कुल और कोख की रक्षा करती हैं। जिन बच्चों की नजर टेढ़ी हो जाती है वे मां के दर्शन मात्र से ही ठीक हो जाते हैं। आसपास के लोगों में मान्यता है कि माता कुलेश्वरी कुल और संतान की रक्षा करती हैं। यहां एक ही पत्थर को तराश कर मां कौलेश्वरी की एक पांच फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। चतुर्भुजी शक्ति स्वरूपा हैं। आसपास के लोगों की माता के प्रति अटूट आस्था है। रामायण काल में वनवास के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता ने भी यहां निवास किया था। यह मंदिर मोक्षदायिनी फल्गु जिसे निरंजना भी कहा जाता है आसपास से ही गुजरती है। पहाड़ी की चोटी में एक प्राचीन सरोवर भी है जिसमें साल भर पानी रहता है। कौलेश्वरी मंदिर झारखंड का एक ऐसा धार्मिक तीर्थ स्थल है जिसकी ख्याति आसपास ही नहीं देश-विदेश में भी है। कई देशों के लोग यहां विभिन्न अनुष्ठान के लिए पहुंचते हैं। संभवतः झारखंड में यह एक मात्र ऐसा स्थल है। जहां धार्मिक गतिविधियों के लिए सर्वाधिक विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं। यह जगह तीन धर्मों की संगम स्थली के रूप में विख्यात है।

महाभारत काल में यह स्थल राजा विराट की राजधानी थी। यह स्थल झारखंड के चतरा जिले के हंटरगंज प्रखंड से 15 किलोमीटर दूर कोल्हुआ पहाड़ पर है। यह झारखंड का चर्चित पर्यटन स्थल है। इसके विकास को लेकर राज्य सरकार ने रोडमैप तैयार किया है। यहां रोप वे सहित कई योजनाएं प्रस्तावित हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / जितेन्द्र तिवारी