मप्र में कामधेनु योजना ने किया बड़ा काम, 2150 गौशालाओं से 4 लाख से अधिक गोवंश का हुआ संरक्षण
- डॉ. मयंक चतुर्वेदी
भोपाल, 20 जून (हि.स.)। सरकार की मंशा यदि किसी कार्य को सफल बनाने की हो और उस कार्य को पूर्णता प्रदान करने में आम जन की रुचि भी उतनी ही हो तो कोई कारण नहीं असफलता मिले। पशुपालन के क्षेत्र में प्रदेश के बढ़ते कदम लगातार इसी ओर इशारा कर रहे हैं। यहां मध्य प्रदेश राज्य गौवंश के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए दृढ़ संकल्पित दिखाई दे रहा है और इसके लिए प्रदेश में पिछले वर्ष राज्य शासन पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा जो कामधेनु योजना प्रारंभ की, उसके अब बड़े स्तर पर सकारात्मक परिणाम मिलने लगे हैं।
इस योजना में हितग्राही 25-200 दुधारू पशुओं तक के लिए इसका लाभ ले सकते हैं। मध्य प्रदेश शासन द्वारा योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति-जनजाति एवं महिलाओं हेतु 33 प्रतिशत व अन्य हेतु 25 प्रतिशत का अनुदान प्रदान किया जाना है। संचालक पशुपालन एवं डेयरी विभाग के अनुसार मध्य प्रदेश गौतम वर्धन बोर्ड द्वारा वर्तमान में 2150 गौशालाओं के लगभग चार लाख गोवंश को अनुदान प्रदाय किया जा रहा है। शासन द्वारा लगातार अनुदान की प्रक्रिया को सरल कर सभी गौशालाओं को डीबीटी के माध्यम से अनुदान राशि सीधे गौशाला समितियों के खाते में पहुंचने की व्यवस्था की गई है।
प्रमुख सचिव पशुपालन एवं डेयरी उमाकांत उमराव का कहना है कि प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में पंजीकृत गौ-शालाओं में गौवंश के उचित व्यवस्थापन के लिए आर्थिक अनुदान को रू. 20 प्रति गौ-वंश प्रति दिवस से बढ़ाकर रू. 40 प्रति गौ-वंश प्रति दिवस किया गया है। गौ-शालाओं में पालन किए जा रहे गौ वंश के लिए अनुदान राशि की किश्त समय-समय पर जारी की जा रही है। सरकार गौ-शालाओं एवं संस्थाओं को गौ-सेवा देने के साथ श्रेष्ठ कार्य करनेवाले लोगों को भी व्यक्तिगत श्रेणी में पुरस्कार दे रही है, जिससे कि गौसेवा के लिए लोगों की स्वप्रेरणा को ओर अधिक उत्साह के साथ आगे बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि मप्र की नीतियां गौरसंवर्धन के लिए बेहद अनुकूल हैं। सरकार हर संभव सार्थक प्रयास इस दिशा में आज करती हुई दिखाई दे रही है।
पशुपालन एवं डेयरी विभाग में प्रभारी सांख्यिकी प्रभाग डॉ. उमा कुमरे परते कहती हैं, “पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए भी अनुदान की राशि रुपए 267.78 करोड़ गौशालाओं के गोवंश हेतु सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा चुकी है। इतना ही नहीं आज प्रदेश में उज्जैन, इंदौर, भोपाल, जबलपुर में निर्गमन के द्वारा 5000 इससे अधिक निराश्रित गोवंश हेतु सर्व सुविधा युक्त आधुनिक गौशालाएं बनाए जा रही है। इसके साथ ही प्रदेश शासन ने आत्मनिर्भर गौशाला की स्थापना नीति 2025 लागू की है जिसके अनुसार निराश्रित गोवंश के व्यवस्थापन के लिए शासकीय भूमि उपलब्ध कराई जा रही है।”
डॉ. उमा बताती हैं, गोवंश वृद्धि के लिए सबसे पहले आवश्यक है, उनके आहार की चिंता करने की, इसके लिए राज्य के मुखिया स्वयं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एवं विभागीय मंत्री लखन पटेल अत्यधिक संवेदनशील नजर आते हैं, इसलिए उन्होंने बेहतर आहार हेतु प्रति गोवंश प्रतिदिन के हिसाब से बढ़ा दी है और इस वित्तीय वर्ष के लिए रुपए 505 करोड़ का प्रावधान किया है। इसके साथ ही अब पांच रुपए की राशि प्रति गोवंश प्रति दिवस की मजदूरी हेतु दी जा रही है। वास्तव में यह एक बड़ा सहयोग उन तमाम गौसेवकों के लिए शासन का है, जो गौरसंवरधन की दिशा में कार्य कर रहे हैं।
वे कहती हैं, “प्रदेश सरकार कैसे गौ-संवर्धन के लिए आज कार्य कर रही है, इसका एक सबसे बड़ा उदाहरण 20 जून को राज्य स्तरीय गौशाला सम्मेलन का आयोजन मुख्यमंत्री निवास में करना है, जिसमें गोपालक-गौशाला संचालक एवं राज्य भर से प्रतिभागियों की लगभग 2500 गौशाला एवं अन्य गौ सेवा के कार्य में लगे समाजसेवियों एवं विभागीय अधिकारी-कर्मचारियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में आचार्य विद्यासागर जीव दया गैस सेवा सम्मान योजना अंतर्गत उत्कृष्ट गौशाला संचालन हेतु गौशालाओं को पुरस्कार का वितरण मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री प्रमुख सचिव पशुपालन एवं डेयरी विभाग मध्य प्रदेश शासन द्वारा वितरित किया जाना बता रहा है कि राज्य में किसी भी प्रकार के प्रोत्साहन की कोई कमी इस दिशा में नहीं छोड़ी जा रही है।
उन्होंने कहा, यहां दिया जानेवाला सम्मान भी प्रथम पुरस्कार पांच लाख, द्वितीय पुरस्कार तीन लाख, तृतीय पुरस्कार दो लाख रुपये तथा 50,000 के चार सन्त्वना पुरस्कार दिए जाने के साथ व्यक्तिगत स्तर पर गौ सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे व्यक्तिगत श्रेणी प्रथम पुरस्कार एक लाख, द्वितीय पुरस्कार ₹50,000 एवं तृतीय पुरस्कार ₹20,000 दिया जाना बता रहा है कि मप्र देश के तमाम राज्यों के बीच गौसंवर्धन के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
दुग्ध उत्पादन को लगातार प्रदेश में बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभाग द्वारा डॉक्टर भीमराव अंबेडकर योजना, कामधेनु योजना प्रारंभ की गई है। जिसमें डेरी व्यवसाय के लगातार नवीन प्रकरण स्वीकृत किए जा रहे हैं। कहना होगा कि इस प्रकार विकसित मध्य प्रदेश 2047 के परिदृश्य में प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा लगातार पशुपालन उद्यमिता एवं गोवन संरक्षण एवं संवर्धन के लिए बड़े एवं व्यापक प्रयत्न किए जा रहे हैं। जिससे प्रदेश की आर्थिक एवं सामाजिक विकास में पशुपालन लगातार एक महत्व भूमिका निभा रहा है और प्रदेश की जीडीपी में पशु पालन उद्यमिता और पशु उत्पादों का मूल्य लगातार बढ़ा है। वहीं आज प्रदेश में स्वरोजगार के लिए लगातार पशुपालन एक उभरते विकल्प के रूप में भी सामने आया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी