बालिकाओं के लिए आशाओं का घर और नई ऊचांईयां छूने का हाैसला देता नारी निकेतन
महिलाओं के विरुद्ध हिंसा उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस पर विशेष
देहरादून, 24 नवंबर (हि.स.)। पौड़ी गढ़वाल की शांत पहाड़ियों के बीच स्थित राजकीय महिला कल्याण एवं पुनर्वास केंद्र (नारी निकेतन) उन बालिकाओं के लिए आशा का घर है, जिन्होंने जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना किया है। वर्ष 1984-85 में कोटद्वार में स्थापित यह संस्थान पीड़ित, परित्यक्त और सामाजिक शोषण से गुज़री बालिकाओं को सुरक्षा, शिक्षा, कौशल और सम्मानपूर्ण जीवन का अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से निरंतर कार्यरत है।
राज्य सरकार द्वारा महिलाओं और बालिकाओं के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दिए जाने के क्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी के सशक्त निर्देशन, मार्गदर्शन एवं संरक्षण नीतियों का सीधा लाभ नारी निकेतन जैसे संस्थानों को मिल रहा है। मुख्यमंत्री जी द्वारा महिला सुरक्षा, कौशल विकास और पुनर्वास कार्यक्रमों को मजबूत किए जाने के कारण संस्थान की कार्यप्रणाली और सेवाओं में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। उनके नेतृत्व में यह केंद्र केवल आश्रय नहीं, बल्कि जीवन को नए सिरे से संवारने का अवसर बन गया है।
इन नीतिगत सुदृढ़ताओं को नारी निकेतन में सफलतापूर्वक लागू कराने की जिम्मेदारी कुशलतापूर्वक निभा रही हैं अधीक्षिका विजयलक्ष्मी भट्ट, जिनके संवेदनशील नेतृत्व में केंद्र नवजीवन की कहानियाँ लिख रहा है। उनका प्रयास केवल प्रबंधन तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रत्येक बालिका की मनोवैज्ञानिक स्थिति, शिक्षा, रुचियों और भविष्य की जरूरतों को समझकर उन्हें सही दिशा देने का है। उन्होंने संस्थान को एक सुरक्षित घर का स्वरूप दिया है, जहाँ रहने वाली बालिकाएँ स्वयं को संरक्षित, समझी गयी और स्वीकार्य महसूस करती हैं।
जिला परिवीक्षा अधिकारी अरविंद कुमार ने बताया कि वर्तमान में संस्थान में 13 बालिकाएँ प्रवेशरत हैं, जिन्हें विद्यालयी शिक्षा से लेकर स्टेनो, कंप्यूटर, ब्यूटीशियन, खेल प्रशिक्षण जैसे कौशल विकास कार्यक्रमों का लाभ मिल रहा है। जिनमें से 04 बालिकाओं को होटल मैनेजमेंट कोर्स, 04 बालिकाओं को ब्यूटीशियन कोर्स, 01 बालिका को स्टेनो कोर्स, 01 बालिका को स्पोर्ट्स ट्रेनिंग और 03 बालिकाओं को कंप्यूटर का बेसिक कोर्स कराया जा रहा है। उन्होंने कहा किमनोवैज्ञानिक काउंसलिंग, पोषणयुक्त भोजन, यूनिफॉर्म, अध्ययन सामग्री और आत्मनिर्भरता बढ़ाने वाले विशेष प्रशिक्षण सभी बालिकाओं की नियमित दिनचर्या का हिस्सा हैं। प्रशिक्षण का सकारात्मक प्रभाव दिखते हुए संस्थान की एक बालिका हाल ही में कैम्स कंपनी, हरिद्वार में सुरक्षा कर्मी के रूप में नियुक्त हुई है। यह मुख्यमंत्री जी की नीतियों और संस्थान के प्रयासों का मजबूत परिणाम है।
उन्होंने बताया कि दो मंजिला भवन में बने हॉल, कमरे, डाइनिंग हॉल, किचन और स्वच्छ बाथरूम-टॉयलेट संस्थान की सुव्यवस्थित संरचना को दर्शाते हैं। रात्रिकालीन सुरक्षा के लिए स्ट्रीट लाइट, इन्वर्टर और आवश्यक विद्युत सुविधाएँ उपलब्ध करायी गयी हैं, जिससे बालिकाओं का वातावरण सुरक्षित और अनुकूल बना रहता है। उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र में बालिकाओं को विद्यालय जाने, चिकित्सा तथा अन्य आपातकालीन सुविधाओं के लिए जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया के निर्देशन में वाहन की व्यवस्था भी की जा रही है।
उन्होंने बताया कि संस्थान के द्वारा न सिर्फ बच्चियों और महिलाओं का संरक्षण और अध्ययन का कार्य किया जाता है बल्कि राज्य सरकार की अनाथ लोगों के आरक्षण की नीति के तहत कई महिलाओं को रोजगार के अवसर भी प्रदान हुए है। साथ ही उन्होंने बताया कि पौड़ी जिले से पिछले 2 वर्षों में लगभग 250 से अधिक बच्चियों एवं महिलाओं का संरक्षण और अध्ययन कार्य सम्पन्न किया जा सका है तथा 18000 से अधिक बच्चों को बाल अपराध, बाल विवाह तथा बाल अधिकारों के बारे में जागरुक करने हेतु 600 से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में, राज्य सरकार जिस “सुरक्षित, शिक्षित और सशक्त बालिका” के व्यापक विज़न पर कार्य कर रही है, नारी निकेतन, पौड़ी गढ़वाल उस विज़न का एक जीवंत, प्रेरक उदाहरण है। यहाँ रहने वाली बालिकाएँ केवल संरक्षण ही नहीं, बल्कि एक नया जीवन पाने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं, जहाँ उनके सपने फिर से आकार लेते हैं और उनके कदम आत्मनिर्भरता की ओर दृढ़ता से बढ़ते हैं।
नारी निकेतन आज आश्रय से बढ़कर वह स्थान बन चुका है, जहां संघर्ष अवसर में, अवसर आत्मविश्वास में और आत्मविश्वास सफलता में बदलता है और यही इस संस्थान की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
हिन्दुस्थान समाचार / विनोद पोखरियाल